Why does menstruation cause pain ?(Periods) Proven Causes, treatment and home remedies | मासिक धर्म (Periods) में दर्द क्यों होता है? कारण, इलाज और 7 घरेलू उपाय

Why does menstruation cause pain ?(Periods) Proven Causes, treatment and home remedies | मासिक धर्म (Periods) में दर्द क्यों होता है? कारण, इलाज और 7 घरेलू उपाय

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नमस्कार दोस्तों,मासिक धर्म (Periods) में दर्द क्यों होता है? कारण, इलाज और घरेलू उपाय | इस ब्लॉग में आपका स्वागत है |

Why does menstruation cause pain ?(Periods) Proven Causes, treatment and home remedies | मासिक धर्म (Periods) में दर्द क्यों होता है? कारण, इलाज और 7 घरेलू उपाय

मासिक धर्म में दर्द क्यों होता है? जानिए आसान भाषा में पूरी जानकारी


हर महीने महिलाओं को एक स्वाभाविक जैविक प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है जिसे हम “मासिक धर्म” या “Periods” कहते हैं। यह एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन इसके साथ आने वाला दर्द कई महिलाओं के लिए असहनीय हो सकता है। कुछ को हल्का दर्द होता है तो कुछ को इतना ज्यादा कि उन्हें स्कूल, कॉलेज या ऑफिस से छुट्टी लेनी पड़ती है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि पीरियड्स के दौरान दर्द क्यों होता है, इसके पीछे के कारण क्या हैं, और किन घरेलू उपायों से राहत मिल सकती है।


पीरियड्स में दर्द क्यों होता है?

पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द को डिसमेनोरिया (Dysmenorrhea) कहा जाता है। यह दो प्रकार का होता है

1. प्राइमरी डिसमेनोरिया (Primary Dysmenorrhea)

पीरियड्स शुरू होने के पहले या पहले-दूसरे दिन जो हल्का दर्द होता है, वह एक सामान्य बात है। ये दर्द आमतौर पर 2 से 3 दिनों में अपने आप ठीक हो जाता है। इस दौरान गर्भाशय की मांसपेशियां संकुचन करती हैं, जिससे पेट के निचले हिस्से में दर्द महसूस होता है।

2. सेकेंडरी डिसमेनोरिया (Secondary Dysmenorrhea)

इस तरह के दर्द की शुरुआत पीरियड्स आने से कुछ दिन पहले ही हो जाती है और यह किसी गंभीर बीमारी या शारीरिक समस्या के कारण होता है। यह दर्द लगातार बना रहता है और धीरे-धीरे समय के साथ बढ़ता जाता है। ऐसी स्थिति में खुद इलाज करने की बजाय डॉक्टर से सलाह लेना बहुत जरूरी होता है।


पीरियड्स में दर्द के मुख्य कारण

1. हार्मोनल बदलाव

पीरियड्स के समय शरीर में प्रोस्टाग्लैंडिन नाम का एक हार्मोन ज्यादा बनता है, जो गर्भाशय की मांसपेशियों को सिकोड़ता है ताकि ब्लीडिंग हो सके। लेकिन जब यह हार्मोन बहुत ज्यादा बनता है, तो इससे पेट में तेज़ दर्द होने लगता है।

2. यूटेरस में संक्रमण (Pelvic Inflammatory Disease – PID)

अगर महिला की बच्चेदानी, फैलोपियन ट्यूब या अंडाशय में कोई संक्रमण हो जाता है, तो पीरियड्स के दौरान पेट के निचले हिस्से में तेज़ दर्द हो सकता है। इसके अलावा बुखार आना, सफेद या पीला वेजाइनल डिस्चार्ज होना और शारीरिक संबंध के समय दर्द महसूस होना भी इस संक्रमण के सामान्य लक्षण होते हैं।

3. फाइब्रॉयड्स (Fibroids)

ये गांठें गर्भाशय की मांसपेशियों की परत में बनती हैं, जिन्हें फाइब्रॉयड्स कहा जाता है। अगर ये गांठें बहुत बड़ी हो जाएं या गर्भाशय की अंदरुनी परत की तरफ बढ़ने लगें, तो इससे तेज़ दर्द और ज्यादा ब्लीडिंग हो सकती है।

4. पॉलिप्स (Polyps)

यह गर्भाशय की परत का एक मोटा हिस्सा होता है जो सामान्य से अधिक बढ़ जाता है। जब यह परत असामान्य रूप से बढ़ती है, तो पीरियड्स के समय ज्यादा दर्द और कभी-कभी ज्यादा ब्लीडिंग का कारण बन सकती है।

5. एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis)

यह एक गंभीर समस्या होती है, जिसमें गर्भाशय की अंदरूनी परत जैसी कोशिकाएं गर्भाशय के बाहर बढ़ने लगती हैं। हर महीने ये टिश्यू भी सामान्य पीरियड्स की तरह ब्लीड करते हैं, लेकिन ये खून शरीर से बाहर नहीं निकल पाता। इसके कारण पेट के अंदर सूजन, जलन और तेज़ दर्द होने लगता है।

6. एडिनोमायोसिस (Adenomyosis)

इस समस्या में गर्भाशय की अंदरूनी परत यानी एंडोमेट्रियम की कोशिकाएं गर्भाशय की मांसपेशियों के अंदर तक फैलने लगती हैं। इससे गर्भाशय का आकार बड़ा और वह मुलायम हो जाता है, जिससे पीरियड्स के समय बहुत तेज़ और असहनीय दर्द होता है।

आदिक जानकारी के लिए इस विडियो को जरुर देखे।


पीरियड्स के दर्द का पता लगाने वाले जरूरी टेस्ट और जांच

अगर आपके पीरियड्स का दर्द बहुत अधिक है या समय के साथ बढ़ता जा रहा है, तो निम्न जांच करवाना आवश्यक हो सकता है

पीरियड्स के दौरान तेज़ दर्द या किसी गंभीर समस्या की आशंका होने पर कुछ जरूरी जांचें की जाती हैं, जो इस प्रकार हैं

अल्ट्रासाउंड
इस जांच में गर्भाशय, अंडाशय और अन्य प्रजनन अंगों की तस्वीरें ली जाती हैं ताकि किसी भी असामान्यता जैसे गांठ, पॉलिप्स या एंडोमेट्रियोसिस को पहचाना जा सके।

पेल्विक एग्जामिनेशन
डॉक्टर द्वारा की जाने वाली यह शारीरिक जांच होती है, जिसमें प्रजनन अंगों में सूजन, गांठ या दर्द की स्थिति को हाथ से जांचा जाता है।

ब्लड टेस्ट
इसमें खून की जांच करके संक्रमण, हार्मोन असंतुलन या एनीमिया जैसी स्थितियों का पता लगाया जाता है।

लैप्रोस्कोपी (गंभीर मामलों में)
यह एक छोटी सर्जिकल प्रक्रिया होती है जिसमें पेट के अंदरूनी हिस्सों को कैमरे के ज़रिए देखा जाता है, खासकर तब जब एंडोमेट्रियोसिस या दूसरी गंभीर बीमारियों की पुष्टि करनी हो।


मासिक धर्म के दर्द से राहत पाने के आसान घरेलू उपाय

पीरियड्स का हल्का दर्द सामान्य है और कुछ घरेलू उपायों से इसे आसानी से कम किया जा सकता है:

1. गर्म पानी की बोतल (Hot Water Bag)

अगर पीरियड्स के दौरान पेट में दर्द हो रहा हो, तो गर्म पानी की बोतल को पेट के निचले हिस्से पर रखने से काफी आराम मिलता है। इससे मांसपेशियों को गर्माहट मिलती है, संकुचन कम होते हैं और दर्द धीरे-धीरे कम होने लगता है।

2. हल्की मसाज

पीरियड्स के समय तिल के तेल या नारियल तेल से पेट के निचले हिस्से में हल्के हाथों से मालिश करने से काफी आराम मिलता है। इससे उस क्षेत्र में रक्तसंचार बढ़ता है, मांसपेशियां ढीली होती हैं और दर्द धीरे-धीरे कम होने लगता है।

3. हर्बल चाय

दालचीनी, सौंफ और अदरक जैसी घरेलू चीज़ों से बनी हर्बल चाय पीना पीरियड्स के दौरान बहुत फायदेमंद होता है। ये सभी चीज़ें सूजन को कम करने में मदद करती हैं और पेट के दर्द से भी राहत दिलाती हैं। साथ ही यह शरीर को गर्माहट भी देती है, जिससे आराम महसूस होता है।

4. हल्दी वाला दूध

हल्दी में प्राकृतिक एंटी-इंफ्लेमेटरी यानी सूजन कम करने वाले गुण पाए जाते हैं, जो पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द को कम करने में मदद करते हैं। हल्दी वाला दूध पीने से शरीर को अंदर से राहत मिलती है और मांसपेशियों का तनाव भी घटता है।

5. व्यायाम और योग

पीरियड्स के दौरान नियमित रूप से योग करना बहुत फायदेमंद होता है। खासकर “बालासन”, “सेतुबंधासन” और “भुजंगासन” जैसे आसान पेट की मांसपेशियों को आराम देते हैं और दर्द को कम करते हैं। इसके अलावा हल्की सैर करना या साधारण स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज करना भी शरीर को सक्रिय बनाए रखता है और दर्द से राहत दिलाता है।

6. सही खान-पान

पीरियड्स के दौरान नमक और कैफीन जैसे चाय-कॉफी की मात्रा कम करना फायदेमंद होता है, क्योंकि ये चीज़ें शरीर में सूजन बढ़ा सकती हैं। इसके बजाय ताजे फल, हरी पत्तेदार सब्जियां, ओमेगा-3 फैटी एसिड और आयरन से भरपूर भोजन लेना चाहिए। इससे शरीर को ताकत मिलती है और दर्द में भी राहत मिलती है।

7. हाइड्रेशन

पीरियड्स के दौरान ज्यादा से ज्यादा पानी पीना बहुत जरूरी होता है। इससे शरीर में पानी की कमी नहीं होती और हार्मोन का संतुलन भी बना रहता है। पर्याप्त पानी पीने से सूजन कम होती है और पेट दर्द में भी राहत मिलती है।

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पीरियड्स के तेज़ दर्द के लिए दवाइयाँ और इलाज के तरीके

यदि दर्द बहुत अधिक है और घरेलू उपाय से राहत नहीं मिलती है, तो डॉक्टर की सलाह से निम्न दवाइयाँ ली जा सकती हैं

अगर पीरियड्स का दर्द ज्यादा हो और घरेलू उपायों से राहत न मिले, तो डॉक्टर की सलाह से कुछ दवाइयों का उपयोग किया जा सकता है। जैसे:

NSAIDs (जैसे Ibuprofen, Mefenamic Acid): ये दवाएं दर्द और सूजन दोनों को कम करने में मदद करती हैं।

ओरल कंट्रासेप्टिव्स: हार्मोनल संतुलन बनाए रखने के लिए डॉक्टर की सलाह पर गर्भनिरोधक गोलियां दी जाती हैं, जिससे पीरियड्स नियमित और कम दर्दनाक होते हैं।

एंटीबायोटिक्स: अगर दर्द का कारण कोई संक्रमण है, तो डॉक्टर एंटीबायोटिक्स दे सकते हैं जिससे इंफेक्शन खत्म हो सके।

सर्जरी: यदि फाइब्रॉयड्स या एंडोमेट्रियोसिस जैसी गंभीर समस्याएं हों, तो सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है ताकि समस्या का स्थायी समाधान हो सके।


कब डॉक्टर से मिलना ज़रूरी है ?

अगर पीरियड्स के दौरान दर्द हर महीने बढ़ता जा रहा है, सामान्य पेनकिलर भी असर नहीं कर रहे हैं, या फिर बहुत ज्यादा या असामान्य ब्लीडिंग हो रही है, तो यह चिंता का विषय हो सकता है। इसके अलावा, अगर शारीरिक संबंध बनाते समय दर्द होता है, या तेज़ बुखार के साथ दुर्गंध वाला वेजाइनल डिस्चार्ज आ रहा है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। ये लक्षण किसी गंभीर बीमारी या संक्रमण का संकेत हो सकते हैं।


अंत में क्या समझें :- पीरियड्स के दर्द से जुड़ी ज़रूरी बातें

पीरियड्स (Periods) के दौरान दर्द होना एक सामान्य बात है, लेकिन अगर यह दर्द आपकी दिनचर्या को प्रभावित कर रहा है तो इसे नजरअंदाज न करें। सही जांच, सही इलाज और कुछ सरल घरेलू उपायों से इस समस्या को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। याद रखें, शरीर का ख्याल रखना सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। हर महिला को अपनी सेहत के प्रति सजग रहना चाहिए।

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