नमस्कार दोस्तों,मलेरिया के लक्षण, कारण और इलाज |Malaria Symptoms, Causes And Treatment इस ब्लॉग में आपका स्वागत है |

चलो आपको भी Malaria को कहना हे Bye तो ये ब्लॉग जरुर पढ़े
जैसे ही बरसात का मौसम शुरू होता है, मच्छरों से फैलने वाली बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। इस मौसम में चारों ओर पानी जमा हो जाता है, जिससे मच्छर तेजी से पनपने लगते हैं। खासकर जुलाई से अक्टूबर के बीच मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियां सबसे ज्यादा फैलती हैं। इनमें मलेरिया एक खतरनाक बीमारी है, जो अगर समय पर इलाज न किया जाए तो जानलेवा भी हो सकती है।
मलेरिया बुखार मच्छर के काटने से फैलता है और इसके लक्षण शुरू में सामान्य बुखार जैसे लग सकते हैं। लेकिन अगर इसे नजरअंदाज किया गया, तो यह शरीर को काफी नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए इस लेख में हम आपको मलेरिया के लक्षण, इसके होने के कारण, इससे बचाव के उपाय और इलाज के तरीकों के बारे में आसान और सीधी भाषा में पूरी जानकारी देंगे।
मलेरिया क्या है? (What is Malaria?)
मलेरिया एक संक्रामक रोग (Infectious Disease) है, जो एक खास प्रकार के मच्छर – फीमेल एनाफिलीज मच्छर – के काटने से होता है। इस मच्छर के लार (saliva) में एक परजीवी (parasite) होता है जिसे प्लाज्मोडियम (Plasmodium) कहा जाता है।
जब यह मच्छर किसी इंसान को काटता है, तो प्लाज्मोडियम परजीवी उसके रक्त में प्रवेश कर जाता है और फिर लीवर में जाकर विकसित होता है। कुछ दिनों के बाद यह रक्त में दोबारा आकर रेड ब्लड सेल्स (RBCs) को नष्ट करना शुरू कर देता है, जिससे खून की कमी (Anemia) और अन्य गंभीर लक्षण उत्पन्न होते हैं।
मलेरिया के प्रकार (Types of Malaria)
मलेरिया फैलाने वाला परजीवी जिसे प्लाज्मोडियम कहा जाता है, इसकी पाँच प्रमुख प्रजातियाँ होती हैं। इनमें सबसे आम प्रजाति है Plasmodium Vivax, जो खासकर भारत में सबसे ज़्यादा मलेरिया के मामलों के लिए जिम्मेदार मानी जाती है। दूसरी प्रजाति है Plasmodium Falciparum, जिसे सबसे खतरनाक और जानलेवा माना जाता है क्योंकि यह तेज़ी से शरीर को नुकसान पहुंचा सकती है।
इसके अलावा Plasmodium Malariae और Plasmodium Ovale भी मलेरिया फैलाने वाली प्रजातियाँ हैं, हालांकि इनके मामले थोड़े कम देखने को मिलते हैं। पाँचवीं प्रजाति है Plasmodium Knowlesi, जो दुर्लभ है लेकिन यह बहुत तेज़ी से फैलती है और गंभीर बीमारी का कारण बन सकती है। इन सभी प्रजातियों में से प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम सबसे ज़्यादा चिंता का विषय होता है क्योंकि यह सबसे गंभीर लक्षणों के साथ आता है।
मलेरिया के कारण (Causes of Malaria)
मच्छर का काटना
मलेरिया होने का सबसे बड़ा कारण फीमेल एनाफिलीज मच्छर का काटना होता है। यह मच्छर खासतौर पर गंदे और रुके हुए पानी में पनपता है। ऐसे मच्छर उन जगहों पर तेजी से बढ़ते हैं जहाँ पानी लंबे समय तक जमा रहता है। उदाहरण के तौर पर, घर के आसपास बने गड्ढों में भरा हुआ पानी, पुराने टायर, पानी की टंकी, बिना साफ किए हुए कूलर, और खुली नालियों में मौजूद गंदगी – ये सभी जगहें मच्छरों के पनपने के लिए उपयुक्त होती हैं। इसलिए सफाई न होने पर मलेरिया का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
संक्रमित रक्त का ट्रांसफ्यूजन
अगर किसी मलेरिया ग्रस्त व्यक्ति का खून किसी स्वस्थ व्यक्ति को चढ़ाया जाए तो यह बीमारी फैल सकती है।
संक्रमित सुई या सिरिंज का उपयोग
यदि एक ही सुई दो लोगों पर बिना साफ किए इस्तेमाल की जाती है तो मलेरिया का परजीवी शरीर में जा सकता है।
मलेरिया के लक्षण (Malaria Symptoms)
जब किसी व्यक्ति को मच्छर काटता है और उसके शरीर में मलेरिया का संक्रमण होता है, तो लगभग 10 से 14 दिन बाद इसके लक्षण दिखने लगते हैं। इन लक्षणों की शुरुआत अक्सर फ्लू जैसे सामान्य लक्षणों से होती है, जिस वजह से लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते और इलाज में देर हो जाती है।
मलेरिया का सबसे प्रमुख लक्षण है ठंड लगकर तेज बुखार आना। इसके साथ ही शरीर में कंपकंपी, सिर दर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द महसूस होता है। कई बार मरीज को उल्टी और मितली की शिकायत भी होती है। मलेरिया के दौरान थकान और कमजोरी बहुत अधिक हो जाती है, और जब बुखार उतरता है तो मरीज को खूब पसीना आता है। कुछ मामलों में पेट दर्द और डायरिया भी हो सकता है।
अगर समय पर इलाज न हो, तो मलेरिया गंभीर रूप ले सकता है। ऐसे मामलों में खून की कमी यानी एनीमिया हो सकता है, और मरीज को दौरे या बेहोशी जैसी गंभीर समस्याएं भी हो सकती हैं।
आदिक जानकारी के लिए इस विडियो को जरुर देखे।
मलेरिया की जांच (Malaria Diagnosis)
मलेरिया की जांच करने के लिए निम्नलिखित टेस्ट किए जाते हैं:
1. Complete Blood Count (CBC)
इस टेस्ट के जरिए खून में मौजूद ब्लड सेल्स की संख्या का पता लगाया जाता है। मलेरिया की स्थिति में आमतौर पर रेड ब्लड सेल्स (RBCs) की संख्या कम हो जाती है। जब RBCs कम हो जाते हैं, तो शरीर में खून की कमी यानी एनीमिया हो जाता है, जिससे मरीज को कमजोरी और थकान महसूस होने लगती है।
2. Blood Smear Test
यह जांच मलेरिया की पहचान के लिए सबसे सटीक और पारंपरिक तरीका मानी जाती है। इसमें मरीज के खून की एक स्लाइड तैयार की जाती है और उसे माइक्रोस्कोप से ध्यानपूर्वक देखा जाता है। इस प्रक्रिया से न केवल मलेरिया की पुष्टि होती है, बल्कि यह भी पता चलता है कि मरीज को प्लाज्मोडियम की कौन सी प्रजाति से संक्रमण हुआ है।
3. Rapid Diagnostic Test (RDT)
यह टेस्ट बहुत जल्दी रिजल्ट देने वाला होता है, इसलिए इसे मलेरिया की शुरुआती जांच यानी स्क्रीनिंग के लिए उपयोग किया जाता है। हालांकि, इस टेस्ट की एक कमी यह है कि यह प्लाज्मोडियम परजीवी की सटीक पहचान नहीं कर पाता। इसलिए सही और निश्चित निदान के लिए अक्सर डॉक्टर रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट (RDT) के साथ-साथ ब्लड स्मीयर टेस्ट भी करवाने की सलाह देते हैं, ताकि बीमारी की पुष्टि और परजीवी की पहचान दोनों ही सही ढंग से हो सके।
मलेरिया का इलाज (Malaria Treatment)
समय रहते अगर मलेरिया का इलाज शुरू कर दिया जाए तो यह बीमारी आसानी से ठीक हो सकती है।
सामान्य इलाज में शामिल हैं:
1. एंटी-मलेरियल दवाएं:
मलेरिया के इलाज में कई दवाइयां उपयोग की जाती हैं। इनमें सबसे आम दवा क्लोरोक्विन (Chloroquine) है, जो कई मामलों में प्रभावी साबित होती है। इसके अलावा, आर्टेमिसिनिन-आधारित संयोजन चिकित्सा (Artemisinin-based Combination Therapy – ACT) भी बहुत महत्वपूर्ण होती है, जो गंभीर मलेरिया के इलाज में उपयोग की जाती है। इसी प्रकार, आर्टेमेथर (Artemether) और ल्यूमेफैनट्रिन (Lumefantrine) जैसी दवाएं भी मलेरिया के इलाज में दी जाती हैं। खास तौर पर प्रिमाक्विन (Primaquine) दवा प्लाज्मोडियम वाइवक्स (Plasmodium Vivax) से होने वाले मलेरिया के लिए प्रयोग की जाती है। इन दवाओं के सही उपयोग से मलेरिया को ठीक किया जा सकता है।
2. गंभीर मामलों में:
गंभीर मलेरिया के मामलों में खास देखभाल की जरूरत होती है। ऐसे मरीजों को आईवी ड्रिप, इंजेक्शन और कभी-कभी ICU में भर्ती करना पड़ता है। खासकर जब मलेरिया से सेरेब्रल मलेरिया हो जाता है, यानी दिमाग में संक्रमण हो जाए, तो विशेष चिकित्सा और निगरानी की जरूरत होती है। इसलिए, मलेरिया के इलाज में डॉक्टर की सलाह बेहद जरूरी है और बिना डॉक्टर के अनुमति के किसी भी दवा का सेवन बिल्कुल न करें।

मलेरिया से उपचार (Malaria Prevention)
1. मच्छरों से बचाव करें
मलेरिया से बचाव के लिए हमें कुछ जरूरी सावधानियां अपनानी चाहिए। सबसे पहले, बारिश या मच्छरों के अधिक सक्रिय समय में फुल स्लीव वाले कपड़े पहनें ताकि शरीर ढका रहे और मच्छर काट न सकें। साथ ही, मॉस्किटो रिपेलेंट का इस्तेमाल करें जिससे मच्छर पास न आएं। रात के समय सोते हुए मच्छरदानी का उपयोग जरूर करें, यह मच्छरों से सुरक्षा का एक कारगर तरीका है। इसके अलावा, मच्छर भगाने वाले कॉइल या वेपोराइज़र को रात में कमरे में चलाना भी मच्छरों को दूर रखने में मदद करता है।
2. आसपास सफाई रखें
मच्छरों के प्रजनन को रोकने के लिए घर के आसपास कहीं भी पानी जमा न होने दें। पानी जमा होने से मच्छर जल्दी पनपते हैं, इसलिए इसे साफ-सफाई रखना बहुत जरूरी है। टंकी, कूलर, गड्ढे और ऐसी जगहों को कम से कम सप्ताह में एक बार अच्छी तरह से साफ करें ताकि उनमें पानी खड़ा न रहे। इसके अलावा, नालियों को भी बंद और साफ-सुथरा रखें ताकि मच्छरों का प्रजनन न हो सके और मलेरिया का खतरा कम हो।
3. यात्रा में सावधानी
अगर आप किसी ऐसे इलाके में जा रहे हैं जहाँ मलेरिया आम तौर पर पाया जाता है, तो आपको अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए। ऐसी जगहों पर जाने से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर करें और उनकी सलाह से प्रिवेंटिव दवाएं लें। खासकर अगर आप विदेश यात्रा पर जा रहे हैं, तो मलेरिया से बचाव के लिए दवाइयों का इस्तेमाल करना बहुत जरूरी होता है। इससे आप मलेरिया के खतरे से बच सकते हैं और सुरक्षित रह सकते हैं।
4. टीका (Vaccine)
अब तक मलेरिया के लिए कोई ऐसी प्रभावी वैक्सीन व्यापक रूप से उपलब्ध नहीं है, जो हर जगह इस्तेमाल की जा सके। कुछ देशों में RTS,S/AS01 (Mosquirix) नामक टीका सीमित रूप से उपयोग में लाया जा रहा है, लेकिन भारत में यह टीका अभी आम तौर पर उपलब्ध नहीं है और व्यापक पैमाने पर इसका इस्तेमाल नहीं होता। इसलिए फिलहाल मलेरिया से बचाव के लिए मुख्य रूप से मच्छरों से सुरक्षा और साफ-सफाई पर ध्यान देना जरूरी है।
बच्चों और गर्भवती महिलाओं में मलेरिया
बच्चों में मलेरिया बहुत तेजी से फैलता है और यह उनके लिए ज्यादा खतरनाक भी हो सकता है। इसलिए बच्चों की खास देखभाल और सतर्कता बहुत जरूरी होती है। इसके अलावा, गर्भवती महिलाओं को भी मलेरिया से बचने के लिए विशेष सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि यह बीमारी मां और बच्चे दोनों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है। इसलिए इस दौरान मच्छरों से बचाव और समय पर सही इलाज लेना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।
मलेरिया एक गंभीर लेकिन पूरी तरह से बचाव और इलाज योग्य बीमारी है। सही जानकारी, समय पर जांच और इलाज से इसे आसानी से हराया जा सकता है। इस लेख के माध्यम से हमने जाना कि मलेरिया क्या है, इसके लक्षण, कारण, बचाव और इलाज क्या हैं।
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