Home remedies for asthma | 5 easy and effective ways to control the respiratory disease | अस्थमा के लिए घरेलू उपचार श्वसन रोग को नियंत्रित करने के 5 आसान और प्रभावी तरीके

Home remedies for asthma | 5 easy and effective ways to control the respiratory disease | अस्थमा के लिए घरेलू उपचार श्वसन रोग को नियंत्रित करने के 5 आसान और प्रभावी तरीके

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नमस्कार दोस्तों,Home remedies for asthma | 5 easy and effective ways to control the respiratory disease | अस्थमा के लिए घरेलू उपचार श्वसन रोग को नियंत्रित करने के 5 आसान और प्रभावी तरीके | इस ब्लॉग में आपका स्वागत है |

Home remedies for asthma | 5 easy and effective ways to control the respiratory disease | अस्थमा के लिए घरेलू उपचार श्वसन रोग को नियंत्रित करने के 5 आसान और प्रभावी तरीके

अस्थमा क्या है और इसे घरेलू नुस्खों से कैसे कंट्रोल करें?

अस्थमा (Asthma) एक क्रॉनिक (लंबे समय तक चलने वाली) बीमारी है, जिसमें मरीज को सांस लेने में परेशानी होती है। यह बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है, और अगर सही समय पर इसका इलाज ना हो तो यह गंभीर रूप ले सकती है। हालांकि, अस्थमा का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन इसे घरेलू उपायों से काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है।

इस Blog में ( Asthma Control Tips in Hindi | Home Remedies for Asthma | Asthma Ka Gharelu Ilaj) के आधार पर 5 असरदार घरेलू नुस्खे जानेंगे जो अस्थमा को नेचुरली कंट्रोल करने में मदद करते हैं।


अस्थमा के आम लक्षण जिन्हें नज़र अंदाज़ नहीं करना चाहिए

सांस लेने में तकलीफ
अस्थमा में व्यक्ति को गहरी सांस लेने में परेशानी होती है। कई बार ऐसा लगता है जैसे सांस अटक रही हो या पूरी नहीं आ रही।


सीने में जकड़न
इस बीमारी में अक्सर सीने में भारीपन या कसाव महसूस होता है, जिससे व्यक्ति बेचैन हो जाता है और आराम से बैठ भी नहीं पाता।


खांसी (रात या सुबह ज़्यादा)
अस्थमा की खांसी ज़्यादातर रात में या सुबह उठते समय ज़्यादा होती है। यह सूखी खांसी होती है और लगातार बनी रह सकती है।


सांसों की घरघराहट (Wheezing)
जब मरीज सांस लेता है, तो सीने से ‘सी-सी’ या ‘घर्र-घर्र’ जैसी आवाज़ आती है। यह आवाज़ सांस की नलियों में रुकावट के कारण होती है।


थोड़ी मेहनत के बाद थकान
हल्का चलना, सीढ़ी चढ़ना या कोई छोटा काम करने के बाद भी व्यक्ति बहुत जल्दी थक जाता है और उसे सांस लेने में दिक्कत होती है।


अस्थमा होने के मुख्य कारण जिन्हें आपको जानना चाहिए

वंशानुगत कारण (Genetic)
अगर परिवार में किसी को अस्थमा है, तो बच्चों में भी यह बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है। इसे आनुवंशिक कारण कहा जाता है।


धूल, धुआं, परागकण और प्रदूषण
गंदगी, धूल-मिट्टी, धुआं और पेड़ों के परागकण सांस की नलियों को चिढ़ा सकते हैं, जिससे अस्थमा की दिक्कत बढ़ जाती है। शहरों में प्रदूषण इसकी बड़ी वजह बनता जा रहा है।


अत्यधिक ठंडी हवा
बहुत ठंडी हवा फेफड़ों में जाकर सांस की नलियों को सिकोड़ सकती है, जिससे अस्थमा का अटैक हो सकता है। इसलिए ठंड के मौसम में सावधानी जरूरी है।


वायरल संक्रमण
सर्दी, खांसी या फ्लू जैसे वायरल संक्रमण अस्थमा को ट्रिगर कर सकते हैं। खासतौर पर बच्चों और बुजुर्गों में यह ज्यादा देखने को मिलता है।


भावनात्मक तनाव
ज्यादा चिंता या मानसिक तनाव भी अस्थमा की स्थिति को बिगाड़ सकता है। भावनाओं का सीधा असर शरीर की सांस प्रणाली पर पड़ता है।


मोटापा और कमजोर इम्युनिटी
अत्यधिक वजन और कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) वाले लोगों को अस्थमा जल्दी प्रभावित करता है। इसलिए स्वस्थ वजन और मजबूत इम्युन सिस्टम जरूरी है।

आदिक जानकारी के लिए इस विडियो को जरुर देखे।


अस्थमा में राहत पाने के लिए असरदार घरेलू नुस्खे

नीचे दिए गए 5 घरेलू उपचार, अस्थमा के लक्षणों को कम करने में कारगर हो सकते हैं। इनका नियमित और सीमित मात्रा में सेवन लाभकारी साबित होता है।


1. लौंग (Clove) – खांसी और बलगम में राहत

लौंग सिर्फ मसाले या पूजा में उपयोग नहीं होती, बल्कि यह अस्थमा जैसी सांस की बीमारियों में भी बेहद उपयोगी है। लौंग में मौजूद आवश्यक तेल (Essential Oils) सीने की जकड़न और कफ को कम करने में मदद करते हैं।

कैसे सेवन करें

लौंग का सेवन कैसे करें
खाना खाने के 5 से 10 मिनट बाद एक लौंग मुंह में रखें और धीरे-धीरे चूसते रहें। इससे उसमें मौजूद तेल धीरे-धीरे निकलकर गले और सांस की नलियों में असर दिखाते हैं।


लौंग की चाय
अगर चाहें तो लौंग की चाय भी बना सकते हैं। इसमें लौंग उबालकर उसका काढ़ा तैयार करें और हल्का गर्म पीएं। यह गले को राहत देता है और बलगम को कम करता है।


सावधानी
दिन में दो से तीन लौंग से अधिक सेवन ना करें। ज़्यादा मात्रा में लेने से शरीर में गर्मी और पाचन से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।

लाभ

एयरवेज की सूजन में आराम
लौंग में मौजूद तत्व सांस की नलियों की सूजन को कम करने में मदद करते हैं, जिससे अस्थमा के मरीज को काफी राहत मिलती है।


सांस लेना आसान होता है
जब एयरवेज खुलने लगते हैं और उनमें सूजन घटती है, तो सांस लेना भी आसान हो जाता है। यह अस्थमा के लक्षणों को कम करने में सहायक होता है।


खांसी में कमी आती है
लौंग कफ को पतला करके बाहर निकालने में मदद करती है। इससे गले की खराश और खांसी धीरे-धीरे कम होने लगती है।

सावधानी अत्यधिक मात्रा में लौंग खाने से शरीर में गर्मी और पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।


2. काली मिर्च और शहद (Black Pepper & Honey)

काली मिर्च म्यूकस को पतला करती है और शहद एक नेचुरल एंटी-इंफ्लेमेटरी एजेंट है। दोनों मिलकर बलगम को बाहर निकालने और सांस की नलियों को खोलने में मदद करते हैं।

कैसे सेवन करें

काली मिर्च और शहद का मिश्रण
1 ग्राम काली मिर्च का पाउडर लें और उसमें 1 चम्मच शुद्ध शहद अच्छी तरह मिलाएं। यह मिश्रण अस्थमा के इलाज में काफी फायदेमंद होता है।


सेवन का तरीका
इस तैयार मिश्रण को दिन में दो बार – सुबह खाली पेट और रात को सोने से पहले सेवन करें। यह शरीर में जमा बलगम को धीरे-धीरे बाहर निकालने में मदद करता है।


सावधानी
इससे ज्यादा मात्रा में सेवन ना करें, क्योंकि काली मिर्च अधिक गर्म होती है। सीमित मात्रा में ही इसका उपयोग लाभदायक रहता है।

लाभ

म्यूकस का फॉर्मेशन घटता है
काली मिर्च और शहद का मिश्रण शरीर में जमा हुए कफ यानी म्यूकस को पतला करता है, जिससे वह आसानी से बाहर निकल जाता है।


गले की खराश में राहत
यह नुस्खा गले में हो रही जलन या खराश को भी कम करता है। शहद गले को कोट करता है और काली मिर्च संक्रमण से लड़ती है।


सांस लेने में आसानी होती है
जब बलगम साफ़ हो जाता है और सूजन कम होती है, तो सांस की नलियां खुल जाती हैं। इससे सांस लेना सहज और आरामदायक हो जाता है।


3. दालचीनी और शहद (Cinnamon & Honey)

दालचीनी में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो सूजन को कम करने में मदद करते हैं। यह कफ के साथ-साथ पाचन में भी सहायक होती है।

कैसे सेवन करें

कैसे तैयार करें
1 ग्राम दालचीनी पाउडर लें और उसमें 1 चम्मच शहद अच्छे से मिलाएं। यह मिश्रण अस्थमा और खांसी के लिए फायदेमंद होता है।


सेवन का तरीका
इस मिश्रण को दिन में दो या तीन बार लें – सुबह, दोपहर और रात को सोने से पहले। नियमित सेवन से सांस से जुड़ी समस्याओं में आराम मिलता है।


सावधानी
दालचीनी गर्म प्रकृति की होती है, इसलिए सीमित मात्रा में ही लें। अधिक सेवन करने से शरीर में गर्मी या एसिडिटी हो सकती है।

लाभ

चेस्ट टाइटनेस में राहत
दालचीनी और शहद मिलकर सीने की जकड़न को कम करते हैं। इससे अस्थमा के मरीजों को गहरी सांस लेने में राहत महसूस होती है।


सांस लेने की क्षमता में सुधार
यह मिश्रण सांस की नलियों में सूजन को घटाकर उन्हें खोलता है, जिससे फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ती है और सांस लेना आसान हो जाता है।


पाचन क्रिया बेहतर होती है
दालचीनी पाचन तंत्र को मजबूत बनाती है और शहद गैस और अपच जैसी समस्याओं को दूर करता है। इससे पेट हल्का रहता है और शरीर को ताकत मिलती है।


4. पीपली (Pippali) या पीपल – आयुर्वेदिक औषधि

पीपली, जिसे कई लोग पिपल भी कहते हैं, एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक औषधि है। इसका सेवन अस्थमा के मरीजों के लिए विशेष लाभदायक होता है।

कैसे सेवन करें

कैसे तैयार करें
1 ग्राम पीपली (पिपली) का पाउडर लें और उसमें 1 चम्मच शुद्ध शहद अच्छे से मिलाएं। यह मिश्रण अस्थमा के इलाज में फायदेमंद होता है।


सेवन का तरीका
इस तैयार मिश्रण को दिन में दो बार लें – एक बार सुबह खाली पेट और दूसरी बार रात को सोने से पहले। नियमित सेवन से अस्थमा के लक्षणों में सुधार होता है।


सावधानी
इसे सीमित मात्रा में ही लें। अधिक सेवन से शरीर में गर्मी बढ़ सकती है और पाचन पर असर पड़ सकता है।

लाभ

एयरवेज के स्पेस को बढ़ाता है:
पीपली सांस की नलियों को फैलाने में मदद करती है, जिससे बंद हुई या संकुचित एयरवेज खुल जाती हैं और सांस लेना आसान हो जाता है।


बलगम को बाहर निकालने में मदद करता है:
यह मिश्रण जमा हुए कफ यानी बलगम को ढीला करता है और शरीर से बाहर निकालने में सहायता करता है, जिससे गले और छाती हल्के महसूस होते हैं।


इम्यून सिस्टम को मज़बूत करता है:
पीपली और शहद दोनों ही शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं, जिससे अस्थमा के अटैक कम होते हैं और शरीर संक्रमण से लड़ने में सक्षम बनता है।


5. सौंठ (Dry Ginger) और शहद – अस्थमा का रामबाण इलाज

सौंठ यानी सूखी अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। यह फेफड़ों को डिटॉक्स करता है और म्यूकस को निकालने में मदद करता है।

कैसे सेवन करें

यह सौंठ और शहद का घरेलू नुस्खा अस्थमा में बहुत लाभदायक होता है। इसे सरल हिंदी में छोटे-छोटे पैराग्राफ़ में इस तरह लिखा जा सकता है:


कैसे तैयार करें:
1 ग्राम सौंठ (सूखी अदरक) पाउडर लें और उसमें 1 चम्मच शहद मिलाएं। फिर इस मिश्रण को डबल टोन दूध में डालकर अच्छे से उबालें।


सेवन का तरीका:
इस गर्म दूध को दिन में तीन बार पिएं – सुबह, दोपहर और रात को सोने से पहले। यह नुस्खा सांस से जुड़ी समस्याओं में राहत देता है।


सावधानी:
इस उपाय को रोज़ाना सीमित मात्रा में ही अपनाएं। बहुत ज़्यादा सेवन करने से शरीर में गर्मी बढ़ सकती है, खासकर गर्मियों में।

लाभ

यह सौंठ और शहद के सेवन से होने वाले फायदे हैं। इन्हें सरल और छोटे-छोटे पैराग्राफ़ में इस तरह लिखा जा सकता है:


बलगम की मात्रा कम करता है
सौंठ का सेवन फेफड़ों में जमा बलगम को पतला करके उसे बाहर निकालने में मदद करता है। इससे छाती हल्की लगती है और सांस लेना आसान हो जाता है।


जोड़ों के दर्द में राहत
सौंठ में सूजन कम करने वाले गुण होते हैं, जो गठिया या जोड़ों के दर्द में भी राहत पहुंचाते हैं। यह शरीर की अकड़न को भी कम करता है।


गर्मी उत्पन्न कर इम्यूनिटी मजबूत करता है
सौंठ शरीर में हल्की गर्मी पैदा करता है, जिससे खून का संचार बेहतर होता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) मजबूत होती है।


वजन कंट्रोल में सहायक
सौंठ पाचन तंत्र को दुरुस्त करता है और मेटाबॉलिज्म को तेज करता है, जिससे कैलोरीज़ जल्दी बर्न होती हैं और वजन कम करने में मदद मिलती है।


सभी घरेलू नुस्खों को एक साथ इस्तेमाल करने का आसान तरीका

अगर आप पांचों नुस्खों को एक साथ इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो इनका पाउडर बनाकर मसाले के रूप में प्रयोग करें

मिक्स मसाला

1. लौंग (Clove)

लौंग में पाए जाने वाले एसेंशियल ऑयल्स बलगम को ढीला करते हैं और सांस की नलियों को खोलने में मदद करते हैं। यह खांसी और सांस लेने की तकलीफ को कम करने में उपयोगी है।


2. काली मिर्च (Black Pepper)

काली मिर्च बलगम को पिघलाने में मदद करती है और शरीर से बाहर निकालती है। यह गले की खराश, जकड़न और सूजन को भी कम करती है।


3. दालचीनी (Cinnamon)

दालचीनी की गर्म प्रकृति और सूजन कम करने वाले गुण फेफड़ों को साफ़ करते हैं और सांस की नलियों को खोलते हैं। यह पाचन और इम्यून सिस्टम को भी बेहतर बनाती है।


4. पीपली (Pipli)

पीपली सांस की नलियों को चौड़ा करती है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाती है। यह पुरानी खांसी और कफ की समस्या में बेहद कारगर है।


5. सौंठ (Dry Ginger)

सौंठ शरीर को गर्माहट देती है, बलगम को कम करती है, और अस्थमा से राहत दिलाती है। यह जोड़ों के दर्द और वजन घटाने में भी मदद करती है।


इन पाँचों घरेलू चीज़ों को एक साथ लेने का सही तरीका

इन सभी को बराबर मात्रा (जैसे 1-1 ग्राम) में लेकर पाउडर बना लें। रोज़ के खाने में एक चुटकी इस मिश्रण को सूप, दाल या सब्ज़ी में मिलाकर लें। यह तरीका स्वाद भी बढ़ाएगा और दवा का काम भी करेगा।

इन सभी को बराबर मात्रा में पीसकर पाउडर बना लें। रोज़ाना खाने के दौरान सब्ज़ी, सूप या कढ़ी में एक चुटकी डालें। इससे खाने का स्वाद भी बढ़ेगा और अस्थमा के लक्षणों में राहत भी मिलेगी।

Home remedies for asthma | 5 easy and effective ways to control the respiratory disease | अस्थमा के लिए घरेलू उपचार श्वसन रोग को नियंत्रित करने के 5 आसान और प्रभावी तरीके

घरेलू नुस्खे अपनाने से पहले जरूरी सावधानियां

महिलाओं के लिए विशेष सावधानी
पीरियड्स (मासिक धर्म) के दौरान इन घरेलू नुस्खों का सेवन नहीं करना चाहिए। लौंग, काली मिर्च, दालचीनी, सौंठ और पीपली जैसे मसाले शरीर में गर्मी बढ़ाते हैं, जिससे ब्लड फ्लो तेज हो सकता है और तकलीफ बढ़ सकती है।


गर्मी (Hot Body Type) वाले लोग सावधान रहें
अगर किसी व्यक्ति के शरीर में पहले से ही बहुत अधिक गर्मी रहती है या बार-बार जलन, मुंह के छाले, गर्मी से सिर दर्द जैसी समस्याएं होती हैं, तो इन नुस्खों को लेने से पहले डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें।


बच्चों को कम मात्रा में दें
बच्चों का शरीर संवेदनशील होता है, इसलिए उन्हें ये नुस्खे बहुत ही सीमित मात्रा में और उम्र के अनुसार ही दें। अधिक मात्रा नुकसान कर सकती है।


अस्थमा से बचाव के लिए कुछ अतिरिक्त सुझाव

प्राणायाम और योग को अपनाएं
हर दिन कुछ समय अनुलोम-विलोम और कपालभाति जैसे प्राणायाम करें। ये फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ाते हैं और सांस की नलियों को मजबूत करते हैं।


धूल और प्रदूषण से बचें
बाहर निकलते समय मास्क जरूर पहनें, खासकर जब धूल या प्रदूषण ज्यादा हो। ये बाहरी कण अस्थमा को ट्रिगर कर सकते हैं।


ठंडी चीज़ों से परहेज
आइसक्रीम, ठंडा पानी या फ्रिज से निकली चीज़ों का सेवन न करें। ये गले और फेफड़ों में जलन या कफ को बढ़ा सकते हैं।


हल्का और गर्म भोजन करें
तेल-मसाले वाले भारी भोजन से बचें। सुपाच्य, हल्का और गर्म खाना ही खाएं ताकि पाचन सही रहे और शरीर में कफ न बढ़े।


अस्थमा के लिए होम्योपैथिक इलाज की उपयोगी सलाह

अगर घरेलू उपायों से आराम ना मिले, तो आप भारत होम्योपैथी जैसी संस्थाओं से सलाह ले सकते हैं, जहां व्यक्ति के लक्षणों के अनुसार कस्टमाइज्ड दवाएं दी जाती हैं। यह अस्थमा को लंबे समय के लिए कंट्रोल करने में मदद करता है।


अस्थमा से राहत के लिए घरेलू उपायों का सारांश

अस्थमा (asthma) को पूरी तरह खत्म तो नहीं किया जा सकता, लेकिन अगर आप ऊपर बताए गए घरेलू उपायों को सही तरीके से और नियमित रूप से अपनाते हैं, तो इस बीमारी को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है। जरूरी है कि आप अपनी जीवनशैली में बदलाव लाएं और अपने खान-पान पर ध्यान दें।

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