Why does Cancer happen | 11 Quality ways to find out | कैंसर क्यों होता है | जानने के 11 बेहतरीन उपाय | 2025 |

Why does Cancer happen | 11 Quality ways to find out | कैंसर क्यों होता है | जानने के 11 बेहतरीन उपाय | 2025 |

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नमस्कार दोस्तो, Why does cancer happen? | 11 Quality ways to find out | कैंसर क्यों होता है? जानने के 11 बेहतरीन उपाय | इस ब्लॉग मे आपका स्वागत है |

कैंसर (Cancer) क्यों होता है?

कैंसर (Cancer) एक परिचय

कैंसर एक ऐसी गंभीर बीमारी है जिसे सुनते ही डर और चिंता स्वाभाविक रूप से मन में आ जाती है। यह एक ऐसी बीमारी है जिसका समय पर उपचार न हो तो जानलेवा साबित हो सकती है। WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के अनुसार, कैंसर मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है। हर साल लाखों लोग इस बीमारी की चपेट में आते हैं और कई की मौत हो जाती है।

इस Blog में हम विस्तार से जानेंगे कि कैंसर कैसे होता है, इसके पीछे कौन-कौन से कारण हैं, और हम इससे कैसे बच सकते हैं।


कैंसर (Cancer) क्या है?

कैंसर तब होता है जब शरीर की कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं और यह वृद्धि उनके सामान्य कार्य को बाधित करती है। सामान्यत: हमारी कोशिकाएं नियंत्रित तरीके से विभाजित होती हैं और पुरानी या क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को प्रतिस्थापित करती हैं। लेकिन जब इन कोशिकाओं में डीएनए (DNA) के स्तर पर कोई गलती होती है, तब यह बिना किसी रोक-टोक के विभाजित होती रहती हैं।

इन असामान्य कोशिकाओं के समूह को ट्यूमर कहा जाता है। ट्यूमर दो प्रकार के होते हैं| सौम्य (Benign) और मैलिग्नेंट (Malignant)। सौम्य ट्यूमर सामान्यतः खतरनाक नहीं होते, लेकिन मैलिग्नेंट ट्यूमर कैंसर का रूप धारण कर लेते हैं, और शरीर के अन्य हिस्सों में फैलने लगते हैं।


कैंसर (Cancer) कैसे होता है?

कैंसर के होने की प्रक्रिया कोशिकाओं के अनियमित विभाजन से शुरू होती है। हमारे शरीर में डीएनए कोशिकाओं के कार्यों को नियंत्रित करता है। डीएनए को शरीर का ‘सॉफ्टवेयर’ माना जाता है, जो यह निर्धारित करता है कि कोशिकाओं को कब विभाजित होना है और कब नहीं। जब डीएनए में किसी कारण से गड़बड़ी होती है, तो कोशिकाओं का विभाजन असामान्य हो जाता है। यही गड़बड़ी कैंसर का कारण बनती है।

आमतौर पर, हमारे शरीर में कैंसर कोशिकाएं पहले से ही मौजूद होती हैं, लेकिन हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली इन्हें पहचानकर नष्ट कर देती है। लेकिन जब प्रतिरक्षा प्रणाली इन कोशिकाओं को नहीं पहचान पाती या ठीक से काम नहीं करती, तो ये कोशिकाएं कैंसर का रूप ले लेती हैं।


कैंसर (Cancer) के प्रमुख कारण

कैंसर का कोई एक कारण नहीं होता, बल्कि इसके पीछे कई कारक जिम्मेदार होते हैं। यहां हम कैंसर के कुछ प्रमुख कारणों के बारे में चर्चा करेंगे

1. तंबाकू और धूम्रपान

तंबाकू सेवन कैंसर के प्रमुख कारणों में से एक है। धूम्रपान से लंग कैंसर, मुंह का कैंसर और कई अन्य प्रकार के कैंसर हो सकते हैं। WHO के अनुसार, कैंसर से मरने वाले 22% लोग तंबाकू सेवन के कारण अपनी जान गंवाते हैं।

2. शराब का सेवन

अधिक मात्रा में शराब का सेवन भी कैंसर के खतरे को बढ़ाता है। विशेषकर लीवर कैंसर, मुंह और गले के कैंसर से जुड़ा हुआ है।

3. खराब खानपान

खराब आहार जिसमें फलों और सब्जियों की कमी हो, शरीर को कैंसर के प्रति अधिक संवेदनशील बनाता है। सही पोषण न मिलने से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है, जो कैंसर कोशिकाओं से लड़ने में सक्षम नहीं रहती।

4. शारीरिक गतिविधि की कमी

नियमित शारीरिक गतिविधि या व्यायाम की कमी भी कैंसर के खतरे को बढ़ाती है। जो लोग शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं होते हैं, उनके शरीर में मोटापा, हार्मोन असंतुलन और प्रतिरक्षा प्रणाली की कमजोरी होती है, जिससे कैंसर का जोखिम बढ़ता है।

5. वायरस और बैक्टीरिया का इन्फेक्शन

कुछ वायरस और बैक्टीरिया भी कैंसर (Cancer) का कारण बन सकते हैं, जैसे कि ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) और हेपेटाइटिस बी वायरस। ये वायरस शरीर के डीएनए में परिवर्तन कर देते हैं, जिससे कैंसर कोशिकाओं का विकास हो सकता है।

6. रेडिएशन और UV रोशनी

रेडिएशन और अल्ट्रावॉयलेट (UV) किरणें भी कैंसर का एक प्रमुख कारण होती हैं। UV किरणें त्वचा कैंसर के प्रमुख कारणों में से एक हैं। इसके अलावा, एक्स-रे और अन्य प्रकार के रेडिएशन शरीर के डीएनए को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

7. अनुवांशिक कारण

कैंसर (Cancer) के कुछ प्रकार अनुवांशिक होते हैं। अगर आपके परिवार में किसी को कैंसर हुआ है, तो आपके लिए भी इसका खतरा अधिक हो सकता है।

8. बढ़ती उम्र

जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, कैंसर का खतरा भी बढ़ता जाता है। बुजुर्गों में प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है, जिससे कैंसर कोशिकाएं अधिक आसानी से विकसित हो जाती हैं।

आदिक जानकारी के लिए इस विडियो को जरुर देखे।


कैंसर (Cancer) के लक्षण

कैंसर के शुरुआती लक्षण पहचानना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि यह अन्य सामान्य बीमारियों की तरह ही महसूस हो सकता है। लेकिन कुछ सामान्य लक्षण हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए:

  1. अचानक वजन घटना: बिना किसी कारण के अचानक वजन घटना कैंसर का संकेत हो सकता है।
  2. थकान: अत्यधिक थकान और कमजोरी भी कैंसर (Cancer) का प्रारंभिक लक्षण हो सकता है।
  3. खांसी और सांस की दिक्कत: लगातार खांसी या सांस लेने में कठिनाई होना लंग कैंसर का संकेत हो सकता है।
  4. गांठ बनना: शरीर के किसी भी हिस्से में गांठ महसूस होना कैंसर की शुरुआत हो सकती है।
  5. खून आना: मल, मूत्र, या खांसी में खून आना भी कैंसर का लक्षण हो सकता है।
  6. जख्म का न भरना: अगर कोई घाव लंबे समय तक नहीं भर रहा हो, तो यह कैंसर का संकेत हो सकता है।
  7. पाचन संबंधी समस्या: लगातार पाचन में समस्या रहना या खाना निगलने में दिक्कत होना पेट या गले के कैंसर का संकेत हो सकता है।

कैंसर (Cancer) से बचाव के उपाय

हालांकि कैंसर का कोई निश्चित इलाज नहीं है, लेकिन कुछ सावधानियां बरतकर इसे रोकने के प्रयास किए जा सकते हैं

1. धूम्रपान और तंबाकू से दूरी बनाएं:

तंबाकू का सेवन बंद करके आप कैंसर (Cancer) के खतरे को काफी हद तक कम कर सकते हैं।

2. संतुलित आहार

फलों, सब्जियों और पौष्टिक खाद्य पदार्थों का सेवन कैंसर से बचाव में सहायक होता है।

3. नियमित व्यायाम

नियमित रूप से व्यायाम करना और शारीरिक रूप से सक्रिय रहना कैंसर के खतरे को कम करता है।

4. शराब का सीमित सेवन

शराब का सेवन कम से कम करें, इससे कैंसर का जोखिम घटता है।

5. रेडिएशन से बचाव

बिना जरूरत के रेडिएशन से दूरी बनाएं और UV किरणों से बचने के लिए धूप में सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें।

6. संक्रमण से बचाव

वायरल संक्रमण से बचने के लिए टीकाकरण कराएं, जैसे कि हेपेटाइटिस बी और HPV वैक्सीन।

7. नियमित जांच कराएं

कैंसर के लक्षणों को जल्दी पहचानने के लिए नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच कराते रहें।


कैंसर (Cancer) का उपचार

अगर कैंसर की पहचान हो जाती है, तो इसका उपचार मुख्यत: तीन तरीकों से होता है

  1. सर्जरी: कैंसर (Cancer) कोशिकाओं को शरीर से हटाने के लिए सर्जरी की जाती है।
  2. किमोथेरपी: दवाइयों के माध्यम से कैंसर कोशिकाओं को मारने की प्रक्रिया को किमोथेरपी कहते हैं।
  3. रेडिएशन थेरपी: कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए रेडिएशन का उपयोग किया जाता है।

इन उपचारों के अलावा, इम्यूनोथेरपी और टार्गेटेड थेरपी जैसी नई तकनीकें भी कैंसर के इलाज में उपयोग की जा रही हैं।


कैंसर (Cancer) के प्रकार

कैंसर कई प्रकार के होते हैं, जो शरीर के अलग-अलग हिस्सों में होते हैं और उनके लक्षण व इलाज भी अलग-अलग होते हैं। कैंसर को उनके उत्पत्ति स्थान और प्रभावित कोशिकाओं के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। यहाँ प्रमुख प्रकार के कैंसर का विवरण दिया गया है:

1. कार्सिनोमा (Carcinoma)

कार्सिनोमा सबसे सामान्य प्रकार का कैंसर (Cancer) है जो शरीर की बाहरी और आंतरिक परतों को प्रभावित करता है। यह त्वचा, फेफड़े, स्तन, आंत, और प्रोस्टेट जैसे अंगों में पाया जाता है। कार्सिनोमा कोशिकाएं एपिथेलियल कोशिकाओं से उत्पन्न होती हैं जो अंगों और त्वचा की परतों को बनाती हैं। इस प्रकार के कैंसर के उपप्रकार निम्नलिखित हैं

एडेनोकार्सिनोमा वह कैंसर है जो शरीर की ग्रंथियों और आंतरिक अंगों की उपकला कोशिकाओं से उत्पन्न होता है। स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा त्वचा या शरीर के अंगों की सतही परतों से शुरू होता है और यह भी एक सामान्य प्रकार का कैंसर है। बेसल सेल कार्सिनोमा त्वचा का सबसे सामान्य प्रकार का कैंसर माना जाता है, जो आमतौर पर धीरे-धीरे बढ़ता है लेकिन समय पर इलाज न होने पर गंभीर हो सकता है।

2. सार्कोमा (Sarcoma)

सार्कोमा कैंसर शरीर के सहायक ऊतकों से उत्पन्न होता है, जैसे कि हड्डियाँ, मांसपेशियां, उपास्थियां, फैट और कनेक्टिव टिश्यू। यह अपेक्षाकृत दुर्लभ है और शरीर के आंतरिक हिस्सों को प्रभावित करता है। सार्कोमा के मुख्य उपप्रकार हैं

ऑस्टियोसार्कोमा हड्डियों में होने वाला एक प्रकार का कैंसर होता है, जो अक्सर किशोरों और युवाओं में पाया जाता है। लिपोसार्कोमा वसा कोशिकाओं में विकसित होने वाला कैंसर होता है, जो शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है जहाँ फैटी टिशू मौजूद हो। चोंड्रोसार्कोमा उपास्थियों में होने वाला कैंसर होता है, जो आमतौर पर कंधे, कूल्हे या श्रोणि की हड्डियों के पास की उपास्थियों में विकसित होता है।

3. ल्यूकेमिया (Leukemia)

ल्यूकेमिया एक प्रकार का रक्त कैंसर है जिसमें शरीर की रक्त बनाने वाली प्रणाली, विशेष रूप से बोन मैरो, प्रभावित होती है। इसमें असामान्य श्वेत रक्त कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं, जो रक्त के सामान्य कार्यों को बाधित करती हैं। ल्यूकेमिया के प्रमुख प्रकार हैं

एक्यूट माइलॉयड ल्यूकेमिया (AML) सबसे सामान्य प्रकार का ल्यूकेमिया है जो बहुत तेजी से बढ़ता है और शरीर पर जल्दी असर डालता है। इसके विपरीत, क्रोनिक माइलॉयड ल्यूकेमिया (CML) धीरे-धीरे बढ़ने वाला ल्यूकेमिया है जो लंबे समय तक बिना लक्षणों के रह सकता है। एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया (ALL) मुख्यतः बच्चों में पाया जाता है और इसे तुरंत इलाज की जरूरत होती है। वहीं, क्रोनिक लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया (CLL) आमतौर पर बुजुर्गों में देखा जाता है और यह धीरे-धीरे बढ़ता है।

4. लिंफोमा (Lymphoma)

लिंफोमा कैंसर लिम्फ नोड्स और लिम्फोसाइट्स (श्वेत रक्त कोशिकाएं) को प्रभावित करता है, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली का हिस्सा होते हैं। लिंफोमा के दो मुख्य प्रकार हैं

हॉजकिन लिंफोमा में विशेष प्रकार की कोशिकाएं होती हैं जिन्हें रीड-स्टर्नबर्ग कोशिकाएं कहा जाता है। वहीं, नॉन-हॉजकिन लिंफोमा लिम्फ नोड्स के अलावा शरीर के अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकता है। दोनों प्रकार के लिंफोमा अलग-अलग तरह से शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं।

5. मायलोमा (Myeloma)

मायलोमा प्लाज्मा कोशिकाओं का कैंसर है, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली का हिस्सा होती हैं। यह कैंसर मुख्य रूप से हड्डियों के भीतर बनता है और इसे मल्टीपल मायलोमा कहा जाता है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करता है और हड्डियों में गंभीर दर्द उत्पन्न करता है।

6. मेलनॉमा (Melanoma)

मेलनॉमा त्वचा का कैंसर है जो मेलानोसाइट्स कोशिकाओं से उत्पन्न होता है, जो त्वचा को उसका रंग देने के लिए जिम्मेदार होती हैं। यह कैंसर बहुत आक्रामक हो सकता है और शरीर के अन्य हिस्सों में तेजी से फैल सकता है। सूर्य की किरणों (UV rays) से अधिक संपर्क में आना इस कैंसर का मुख्य कारण होता है।


कैंसर (Cancer) का विकास और स्टेज

कैंसर के विकास की प्रक्रिया को चार मुख्य चरणों में बांटा जाता है

1. स्टेज 0 (Stage 0)

इस स्टेज में कैंसर कोशिकाएं सीमित होती हैं और केवल उस स्थान पर ही पाई जाती हैं जहाँ से वे उत्पन्न हुई हैं। इसे “इन सिटू” (in situ) कैंसर भी कहा जाता है।

2. स्टेज 1 (Stage 1)

स्टेज 1 में कैंसर एक स्थान पर सीमित होता है और अभी अन्य ऊतकों या अंगों तक नहीं फैला होता है। इसे प्रारंभिक स्टेज का कैंसर कहा जाता है।

3. स्टेज 2 और 3 (Stage 2 and 3)

इन स्टेजों में कैंसर आसपास के ऊतकों और लिम्फ नोड्स तक फैलने लगता है। इसका उपचार कठिन होता जाता है।

4. स्टेज 4 (Stage 4)

इस अंतिम चरण को मेटास्टेटिक कैंसर कहा जाता है, जहाँ कैंसर शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल चुका होता है। इस चरण में कैंसर का इलाज अधिक जटिल हो जाता है और रोगी की स्थिति गंभीर हो सकती है।


कैंसर (Cancer) की पहचान और डायग्नोसिस

कैंसर का समय पर निदान करना जीवनरक्षक हो सकता है। कैंसर की पहचान के लिए कई परीक्षण और तकनीकें उपलब्ध हैं, जैसे:

  1. बायोप्सी (Biopsy): बायोप्सी एक प्रक्रिया है जिसमें प्रभावित ऊतक का एक नमूना लेकर उसका माइक्रोस्कोप के तहत अध्ययन किया जाता है।
  2. इमेजिंग टेस्ट (Imaging Tests): एक्स-रे, एमआरआई (MRI), सीटी स्कैन (CT Scan) और अल्ट्रासाउंड जैसे इमेजिंग टेस्ट से कैंसर के स्थान और उसके फैलाव का पता लगाया जाता है।
  3. ब्लड टेस्ट (Blood Tests): कुछ प्रकार के कैंसर को रक्त परीक्षण के माध्यम से पहचाना जा सकता है, जैसे कि ल्यूकेमिया या प्रोस्टेट कैंसर।
  4. जेनेटिक टेस्टिंग (Genetic Testing): यह परीक्षण उन लोगों के लिए उपयोगी होता है जिनके परिवार में कैंसर की अनुवांशिक प्रवृत्ति है।

कैंसर (Cancer) के उपचार

कैंसर के उपचार के कई तरीके होते हैं, जो कैंसर के प्रकार, स्टेज और रोगी की सामान्य स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करते हैं। आमतौर पर उपयोग किए जाने वाले उपचारों में शामिल हैं:

1. सर्जरी (Surgery):

कैंसर का इलाज करने के लिए सबसे पहले प्रभावित क्षेत्र से ट्यूमर को निकालने के लिए सर्जरी की जाती है। यह तब सबसे प्रभावी होता है जब कैंसर शुरुआती चरण में हो और मेटास्टेसिस (कैंसर का फैलाव) न हुआ हो।

2. किमोथेरपी (Chemotherapy):

किमोथेरपी में कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए दवाओं का उपयोग किया जाता है। यह उन मामलों में प्रयोग किया जाता है जब कैंसर शरीर के अन्य हिस्सों में फैल चुका होता है।

3. रेडिएशन थेरपी (Radiation Therapy):

रेडिएशन थेरपी में कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए उच्च-ऊर्जा किरणों का उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग सर्जरी के बाद शेष बचे कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए किया जाता है।

4. इम्यूनोथेरपी (Immunotherapy):

यह उपचार शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर से लड़ने के लिए प्रोत्साहित करता है। इम्यूनोथेरपी कैंसर के उपचार में एक उभरती हुई तकनीक है और यह उन कैंसर के लिए विशेष रूप से प्रभावी है जो सामान्य उपचारों से ठीक नहीं होते।

5. टार्गेटेड थेरपी (Targeted Therapy):

टार्गेटेड थेरपी में कैंसर कोशिकाओं के विशिष्ट गुणों को निशाना बनाया जाता है, जैसे कि उनकी वृद्धि और विभाजन की क्षमता। यह थेरपी सामान्य कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाए बिना कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने में सहायक होती है।

6. हार्मोन थेरपी (Hormone Therapy):

कुछ प्रकार के कैंसर, जैसे कि स्तन और प्रोस्टेट कैंसर, हार्मोन्स पर निर्भर होते हैं। हार्मोन थेरपी में उन हार्मोन्स के उत्पादन या प्रभाव को रोकने के लिए दवाओं का उपयोग किया जाता है।


कैंसर (Cancer) से बचाव

कैंसर से बचाव के लिए कुछ आदतों और जीवनशैली में बदलाव करना बेहद आवश्यक है:

  1. तम्बाकू से दूर रहें: तम्बाकू सेवन से लंग कैंसर और अन्य प्रकार के कैंसर का जोखिम बढ़ता है। धूम्रपान छोड़ना कैंसर से बचाव में सबसे महत्वपूर्ण कदम है।
  2. स्वस्थ आहार अपनाएं: फल, सब्जियां, साबुत अनाज, और प्रोटीन से भरपूर आहार कैंसर के जोखिम को कम करने में मदद करता है। प्रोसेस्ड और जंक फूड से बचें।
  3. शारीरिक गतिविधि बढ़ाएं: नियमित व्यायाम शरीर को स्वस्थ रखता है और कैंसर के जोखिम को कम करता है। सप्ताह में कम से कम 150 मिनट की मध्यम शारीरिक गतिविधि आवश्यक है।
  4. सूर्य की किरणों से बचाव: त्वचा कैंसर से बचने के लिए सूर्य की किरणों (UV Rays) से बचें। धूप में निकलते समय सनस्क्रीन का उपयोग करें।
  5. शराब का सेवन सीमित करें: शराब का सेवन भी कैंसर के कई प्रकारों का कारण बनता है। इसलिए शराब का सेवन सीमित मात्रा में करें।
  6. स्वास्थ्य जांच करवाएं: नियमित स्वास्थ्य जांच करवाना कैंसर के प्रारंभिक लक्षणों की पहचान करने में मदद करता है। शुरुआती चरण में कैंसर का इलाज अधिक प्रभावी होता है।

आख़िर में क्या समझना ज़रूरी है?

कैंसर एक गंभीर बीमारी है, लेकिन सही जानकारी, सतर्कता और स्वस्थ जीवनशैली के जरिए इसके खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है। तंबाकू और शराब से बचाव, नियमित व्यायाम, संतुलित आहार, और समय-समय पर स्वास्थ्य जांच कराकर आप खुद को और अपने परिवार को कैंसर से बचा सकते हैं।

समय पर निदान और सही उपचार से कैंसर के मामलों में सुधार संभव है, इसलिए लक्षणों को नज़रअंदाज न करें और अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें।

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