Breast Cancer Causes, Symptoms, Diagnosis, and Treatment | स्तन कैंसर कारण, लक्षण, निदान, और इलाज |

Dangerous Breast Cancer Causes, 4 Symptoms, Diagnosis, and Treatment | स्तन कैंसर कारण, 4 लक्षण, निदान, और इलाज |

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Breast Cancer Causes, Symptoms, Diagnosis, and Treatment | स्तन कैंसर कारण, लक्षण, निदान, और इलाज |

स्तन कैंसर (Breast Cancer) महिलाओं में होने वाला एक सामान्य और गंभीर रोग है। भारत में यह बीमारी तेजी से बढ़ रही है, और अब यह 40 से 50 वर्ष की आयु की महिलाओं में सबसे अधिक पाई जाती है। इस लेख में हम डॉ. कंचन कौर द्वारा मेदांता, गुरुग्राम में आयोजित एक वीडियो के आधार पर स्तन कैंसर के कारण, लक्षण, निदान, और इलाज के बारे में विस्तार से जानेंगे।

ब्रेस्ट कैंसर कैसे शुरू होता है?

DNA में बदलाव (Mutation)

जब स्तन की कोशिकाओं के अंदर मौजूद डीएनए में कोई गड़बड़ी या बदलाव आ जाता है, तो ये कोशिकाएं अपना काम ठीक से करना बंद कर देती हैं। इसके बाद वे तेजी से और बिना किसी नियंत्रण के बढ़ने लगती हैं। यही असामान्य बढ़त धीरे-धीरे कैंसर का रूप ले लेती है।

हार्मोनल असंतुलन

महिलाओं के शरीर में बनने वाले हार्मोन जैसे एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन, अगर संतुलन से बाहर हो जाएं या ज्यादा मात्रा में बनने लगें, तो वे स्तन की कोशिकाओं को बार-बार विभाजित होने के लिए उकसाते हैं। यही बार-बार की बढ़त आगे चलकर कैंसर का कारण बन सकती है।

जेनेटिक (वंशानुगत) कारण

कुछ महिलाओं के शरीर में जन्म से ही BRCA1 या BRCA2 नाम के जीन में गड़बड़ी होती है। यह गड़बड़ी उन्हें विरासत में मिलती है और इसकी वजह से उनके स्तन या अंडाशय में कैंसर होने का खतरा सामान्य महिलाओं की तुलना में कहीं ज्यादा होता है।

लाइफस्टाइल और पर्यावरणीय कारण

प्लास्टिक के इस्तेमाल, कीटनाशकों का सेवन, मिलावटी और अस्वस्थ भोजन, कॉस्मेटिक्स में मौजूद रसायन, शराब पीना, धूम्रपान करना, ज्यादा मोटापा होना और शारीरिक गतिविधि की कमी—all ये चीजें स्तन कैंसर होने के जोखिम को बढ़ा सकती हैं और इसके शुरू होने में अहम भूमिका निभा सकती हैं।

शुरुआती चरण में

ब्रेस्ट कैंसर की शुरुआत आमतौर पर एक बहुत छोटी गांठ या कोशिकाओं के समूह के रूप में होती है, जो धीरे-धीरे बढ़ता है और शरीर पर असर डालता है। इसीलिए शुरुआती जांच जैसे मैमोग्राम और खुद से स्तन की जांच करना बहुत जरूरी होता है। ये तरीके कैंसर को शुरुआती स्टेज में पकड़ने में मदद करते हैं, जब उसका इलाज सबसे ज्यादा असरदार और सफल होता है।

स्तन कैंसर के कारण

स्तन कैंसर तब होता है जब स्तन की कोशिकाएं अपने सामान्य नियंत्रण से बाहर होकर तेजी से बढ़ने लगती हैं। यह कोई संक्रमण नहीं होता, बल्कि शरीर की अपनी ही कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं, जिससे कैंसर बनता है।

इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। सबसे पहले, यदि आपके परिवार में पहले किसी महिला को स्तन कैंसर हो चुका है—चाहे वह मां, बहन या नानी हो—तो आपके लिए भी यह जोखिम बढ़ जाता है। हालांकि, ऐसा जरूरी नहीं कि केवल उन्हीं महिलाओं को हो जो फैमिली हिस्ट्री से जुड़ी हों, कई बार यह बिना किसी पारिवारिक कारण के भी हो सकता है। इसके अलावा, आज की बदलती जीवनशैली भी एक बड़ा कारण है।

शहरी जीवन में देर से शादी करना, देर से मां बनना, बच्चों को स्तनपान न कराना और अत्यधिक तनाव जैसी बातें स्तन कैंसर के खतरे को बढ़ा देती हैं। साथ ही, हमारी रोजमर्रा की चीजों—जैसे प्लास्टिक के बर्तन, केमिकल युक्त सौंदर्य प्रसाधन, कीटनाशकों से सने फल-सब्ज़ियां—में ऐसे तत्व होते हैं जो महिला हार्मोन (एस्ट्रोजन) के संतुलन को बिगाड़ सकते हैं। इसके अलावा, शारीरिक गतिविधि की कमी और बढ़ता वजन भी स्तन कैंसर का खतरा बढ़ा सकते हैं। इसलिए एक संतुलित जीवनशैली और सजगता बेहद जरूरी है।

आदिक जानकारी के लिए इस विडियो को जरुर देखे।

कैंसर की गांठ कहाँ-कहाँ होती है?

कैंसर की गांठ शरीर में अलग-अलग जगहों पर हो सकती है, लेकिन हर गांठ कैंसर नहीं होती। ब्रेस्ट कैंसर में यह गांठ स्तन के किसी भी हिस्से में महसूस हो सकती है—चाहे वह ऊपर हो, नीचे, किनारे पर या बीच में। कई बार यह गांठ बगल में भी पाई जाती है, क्योंकि वहां लिम्फ नोड्स होते हैं, जहां कैंसर फैल सकता है। कुछ मामलों में गर्दन या कॉलर बोन के पास भी सूजन या गांठ दिख सकती है, जो कैंसर के आगे बढ़ने का संकेत हो सकता है। अगर किसी भी हिस्से में ऐसी गांठ हो जो सख्त हो, धीरे-धीरे बढ़ रही हो और दर्द न हो, तो उसे हल्के में न लें और तुरंत डॉक्टर से जांच करवाएं।

स्तन कैंसर के लक्षण

स्तन कैंसर के प्रमुख लक्षणों में शामिल हैं

स्तन कैंसर के लक्षण अक्सर शुरुआत में हल्के या सामान्य लग सकते हैं, लेकिन इन्हें नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है। सबसे आम संकेत है स्तन में किसी भी तरह की गांठ महसूस होना। यह गांठ अक्सर बिना दर्द के होती है, इसलिए महिलाएं इसे गंभीरता से नहीं लेतीं, जबकि यह कैंसर का पहला संकेत हो सकता है।

इसके अलावा, अगर निप्पल पहले सामान्य था और अब धीरे-धीरे अंदर की ओर धसने लगे, तो यह भी चिंता का विषय हो सकता है। निप्पल से खून या पानी जैसा कोई भी तरल रिसाव हो, तो उसे सामान्य समझकर अनदेखा नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह भी स्तन कैंसर का लक्षण हो सकता है। स्तन की त्वचा में अगर कोई बदलाव दिखाई दे—जैसे लालपन, सूजन, दाने या त्वचा का खिंचाव—तो यह संकेत हो सकता है कि कुछ गड़बड़ है।

इसके अलावा, अगर बगल में कोई गांठ महसूस हो, तो वह भी कैंसर की ओर इशारा कर सकती है, क्योंकि स्तन से जुड़े लिम्फ नोड्स बगल में होते हैं और वहां भी कैंसर फैल सकता है। इसलिए, शरीर में आने वाले ऐसे किसी भी बदलाव को नजरअंदाज न करें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

स्तन कैंसर का निदान

स्तन कैंसर का सही समय पर पता लगाना उसके इलाज में सबसे अहम भूमिका निभाता है। इसके लिए कई तरह की जांच विधियों का सहारा लिया जाता है। सबसे पहली और आसान जांच है स्व-जांच, जिसे हर महिला को 18-19 साल की उम्र से ही नियमित रूप से करना चाहिए।

जब आप नहाते समय या किसी शांत समय में अपने स्तनों को हल्के हाथों से महसूस करती हैं, तो किसी भी असामान्य गांठ या बदलाव को जल्दी पहचान सकती हैं। इसके बाद 40 साल की उम्र के बाद महिलाओं को साल में एक बार मैमोग्राम करवाना चाहिए। यह एक तरह का ब्रेस्ट एक्स-रे होता है, जो छोटी से छोटी गांठ को भी पकड़ सकता है।

अगर किसी महिला के स्तन में गांठ पाई जाती है, तो डॉक्टर बायोप्सी की सलाह देते हैं, जिससे गांठ कैंसर है या नहीं, इसकी पुष्टि होती है। इसके अलावा अल्ट्रासाउंड और एमआरआई जैसी उन्नत तकनीकें भी गांठ की जगह और उसकी प्रकृति का पता लगाने में मदद करती हैं। मेदांता अस्पताल में डॉ. कंचन कौर की टीम इस पूरी प्रक्रिया को एक ही दिन में पूरा करने के लिए “वन-स्टॉप क्लिनिक” की सुविधा देती है, जिससे मरीजों को बार-बार अस्पताल के चक्कर नहीं काटने पड़ते और समय पर इलाज शुरू हो पाता है।

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स्तन कैंसर का इलाज

स्तन कैंसर का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि कैंसर किस स्तर पर है और उसकी प्रकृति क्या है। जब कैंसर की पुष्टि हो जाती है, तो सबसे आम और जरूरी इलाज सर्जरी होता है, जिसमें कैंसर वाली गांठ या जरूरत पड़ने पर पूरा स्तन हटाया जा सकता है। लेकिन यह जरूरी नहीं कि हर बार पूरी ब्रेस्ट हटानी पड़े—अगर कैंसर शुरुआती अवस्था में पकड़ा जाए तो सिर्फ गांठ को निकालना ही काफी होता है।

इसके बाद कीमोथेरेपी दी जाती है, जो शरीर में फैली हुई कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने का काम करती है। कुछ मामलों में रेडियोथेरेपी की जरूरत होती है, जिसमें रेडिएशन के ज़रिए कैंसर सेल्स को नष्ट किया जाता है। अगर कैंसर हार्मोन से प्रभावित होता है, तो हार्मोन थेरेपी दी जाती है, जिससे हार्मोन के असर को रोका जा सके। कई बार, स्तन के आकार को बचाए रखने के लिए ऑन्कोप्लास्टिक सर्जरी की जाती है, जिसमें ब्रेस्ट को इस तरह से फिर से आकार दिया जाता है कि वह पहले जैसा दिखे और महिला का आत्मविश्वास बना रहे। हर मरीज के लिए इलाज की योजना उसकी उम्र, कैंसर के प्रकार और शरीर की स्थिति को देखकर तय की जाती है।

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https://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/breast-cancer/symptoms-causes

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