नमस्कार दोस्तों,आईज एलर्जी: लक्षण, इलाज और बचाव इस ब्लॉग में आपका स्वागत है।

आईए समझते हैं थोड़ी आसान भाषा में
आज की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी, बढ़ता तनाव, शोर-शराबा और अनियमित जीवनशैली के कारण कान(Ear) से जुड़ी कई समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। टिनाइटस (Tinnitus), कान बहना, कान में दर्द, और हियरिंग लॉस (श्रवण क्षमता में कमी) जैसी समस्याएं आम होती जा रही हैं।
अक्सर लोगों को कानों में घंटी बजने जैसी आवाज़ सुनाई देती है, जिसे मेडिकल साइंस में टिनाइटस कहा जाता है। यह समस्या कुछ समय के लिए या हमेशा के लिए भी हो सकती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसे में योग और घरेलू उपचार आपकी मदद कर सकते हैं?
आज हम आचार्य प्रतिष्ठा द्वारा बताए गए प्राकृतिक और आयुर्वेदिक योग उपायों की बात करेंगे, जो उन्होंने अपने लोकप्रिय यूट्यूब चैनल पर साझा किया है। चलिए जानते हैं, कैसे आप बिना दवाइयों के अपने कानों को स्वस्थ रख सकते हैं।
टिनाइटस और कान की समस्याएं क्या हैं?
टिनाइटस एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति को अपने कानों में घंटी, झनझनाहट या सीटी जैसी आवाज़ सुनाई देती है, जबकि बाहर ऐसी कोई आवाज़ नहीं होती। यह समस्या आमतौर पर सुनने की क्षमता में कमी, कान की चोट, या रक्त संचार की समस्याओं के कारण होती है ।
इसके लक्षणों में लगातार या रुक-रुक कर कान में आवाज़ सुनाई देना, सिरदर्द, चक्कर आना, सुनने की क्षमता में कमी, मानसिक तनाव और चिड़चिड़ापन शामिल हैं। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे कान की सफाई न करना, अत्यधिक शोर में रहना, सिर या कान में चोट, उच्च रक्तचाप, रक्त संचार की कमी, तनाव और नींद की कमी।
टिनाइटस के इलाज में मुख्य रूप से मूल कारण का उपचार, श्रवण यंत्रों का उपयोग, ध्वनि चिकित्सा, और संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (CBT) शामिल हैं ।
यदि आपको टिनाइटस के लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो किसी ईएनटी विशेषज्ञ से परामर्श लेना उचित होगा।
टिनाइटस और कान दर्द के लिए प्रभावी योग आसन और प्राणायाम
1. प्रणव उच्चारण (AUM Chanting)
समय: सुबह खाली पेट, 3 बार
ॐ का उच्चारण एक प्राचीन और शक्तिशाली अभ्यास है जो मानसिक और शारीरिक संतुलन के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है। यह ध्वनि तीन भागों से मिलकर बनी है: “अ”, “उ” और “म”। “अ” ध्वनि पेट के क्षेत्र में कंपन उत्पन्न करती है, “उ” सीने में और “म” सिर और कानों में। इसका नियमित अभ्यास तनाव को कम करता है, मन को शांत करता है, और ध्यान केंद्रित करने में सहायता करता है। इसके अलावा, यह हृदय की धड़कन को संतुलित करने, रक्तचाप को नियंत्रित करने और मानसिक स्पष्टता बढ़ाने में भी मदद करता है। ॐ का जाप करने से शरीर और मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे व्यक्ति को आंतरिक शांति और संतुलन की अनुभूति होती है।
2. पर्वतासन (Mountain Pose)
समय: सुबह और शाम, 5-5 बार
पर्वतासन, जिसे माउंटेन पोज़ भी कहा जाता है, एक सरल लेकिन प्रभावशाली योगासन है जो शरीर और मन दोनों के लिए लाभकारी होता है। यह आसन गर्दन और सिर की मांसपेशियों को आराम देता है, जिससे कानों में रक्त संचार बेहतर होता है और टिनाइटस जैसी समस्याओं में राहत मिल सकती है।
इस आसन को करने के लिए, सीधे खड़े होकर दोनों हाथों को ऊपर की ओर उठाएं और हथेलियों को मिलाएं। फिर दाएं हाथ को देखें और गर्दन को धीरे-धीरे बाईं ओर झुकाएं। इसके बाद, उल्टी दिशा में भी यही प्रक्रिया दोहराएं। यह अभ्यास नसों में रक्त प्रवाह को बढ़ाता है और कानों से संबंधित समस्याओं में मदद करता है।
पर्वतासन के नियमित अभ्यास से शरीर में संतुलन और स्थिरता आती है, जिससे मानसिक शांति भी प्राप्त होती है। यह आसन न केवल कानों के स्वास्थ्य के लिए, बल्कि पूरे शरीर के लिए फायदेमंद है।
3. अधोमुख स्वानासन (Downward Dog Pose)
समय: सुबह के समय, 3 से 5 बार
अधोमुख श्वानासन, जिसे डाउनवर्ड डॉग पोज़ भी कहा जाता है, एक प्रभावशाली योगासन है जो सिर की ओर रक्त प्रवाह बढ़ाता है और कान की नसों को पोषण देता है। यह आसन तनाव को कम करने, रीढ़ की हड्डी को मजबूत करने और पूरे शरीर में रक्त संचार को सुधारने में मदद करता है, जिससे टिनाइटस जैसी समस्याओं में राहत मिल सकती है।
इस आसन को करने के लिए, वज्रासन में बैठें और हाथों को आगे रखें। फिर घुटनों के बल आ जाएं और पंजों को ज़मीन पर टिकाएं। अब शरीर को ऊपर उठाएं और “V” आकार बनाएं, जिससे सिर नीचे और कूल्हे ऊपर की ओर हों। गर्दन को ढीला छोड़ दें और कुछ समय तक इस स्थिति में रहें।
यह आसन सिर, कान और गर्दन में रक्त प्रवाह को बढ़ाता है, जिससे इन क्षेत्रों में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति बेहतर होती है। इसके नियमित अभ्यास से टिनाइटस के लक्षणों में कमी आ सकती है।
यदि आपको कमर में गंभीर दर्द है या कोई अन्य स्वास्थ्य समस्या है, तो इस आसन को करने से पहले डॉक्टर या योग विशेषज्ञ से परामर्श लें।
अधोमुख श्वानासन के अभ्यास से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है और मानसिक शांति प्राप्त होती है, जिससे संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार होता है।
4. पश्चिमोत्तानासन (Seated Forward Bend)
समय: योगाभ्यास के अंत में, 3 बार
जानु शीर्षासन, जिसे ‘हेड-टू-नी पोज़’ भी कहा जाता है, एक प्रभावशाली योगासन है जो शरीर और मन दोनों के लिए लाभकारी होता है। यह आसन न केवल पेट और कमर की मांसपेशियों को टोन करता है, बल्कि सिर और कानों तक रक्त संचार को भी बेहतर बनाता है, जिससे टिनाइटस जैसी समस्याओं में राहत मिल सकती है।
इस आसन को करने के लिए, सीधे बैठकर दोनों पैरों को सामने फैलाएं। फिर गहरी सांस लेते हुए दोनों हाथों को ऊपर उठाएं। सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे आगे की ओर झुकें और हाथों से पैरों की उंगलियां पकड़ें, साथ ही सिर को घुटनों से लगाएं। इस स्थिति में कुछ समय तक रहें और फिर धीरे-धीरे वापस प्रारंभिक स्थिति में आएं।
जानु शीर्षासन के नियमित अभ्यास से रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है, पाचन क्रिया में सुधार आता है, और मानसिक तनाव कम होता है। यह आसन कानों में रक्त प्रवाह को बढ़ाकर झनझनाहट और दर्द जैसी समस्याओं में विशेष रूप से लाभकारी है। हालांकि, किसी भी योगासन को शुरू करने से पहले योग विशेषज्ञ या चिकित्सक से परामर्श लेना उचित होता है।
5. शीर्षासन (Headstand) – विकल्प सहित
समय: अनुभवी योगियों के लिए, सप्ताह में 2-3 बार
शीर्षासन, जिसे ‘हेडस्टैंड’ भी कहा जाता है, योग के सबसे प्रभावशाली अभ्यासों में से एक है। इस आसन से सिर की ओर रक्त प्रवाह बढ़ता है, जिससे मस्तिष्क और कानों को बेहतर पोषण मिलता है। यह मानसिक स्पष्टता, एकाग्रता और संतुलन में सुधार करता है।
हालांकि, शुरुआती लोगों के लिए सीधे शीर्षासन करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इसलिए, वे कुछ सरल अभ्यासों से शुरुआत कर सकते हैं:
- वज्रासन में बैठें और हाथों को आगे रखें।
- घुटनों के बल आकर पंजों को ज़मीन पर टिकाएं।
- सिर और कोहनियों को ज़मीन पर रखें, जिससे एक त्रिकोणीय आधार बने।
- धीरे-धीरे घुटनों को मोड़ें और पंजों को शरीर के पास लाएं।
जो लोग सिर के बल खड़े नहीं हो सकते, वे इन अभ्यासों के माध्यम से सिर की ओर रक्त प्रवाह बढ़ा सकते हैं। यह अभ्यास मस्तिष्क को ऊर्जा प्रदान करता है और मानसिक तनाव को कम करने में मदद करता हैयह सबसे प्रभावी अभ्यासों में से एक है, क्योंकि इससे पूरा रक्त प्रवाह सिर की ओर होता है।
शुरुआती लोगों के लिए विकल्प:

शीर्षासन, जिसे ‘हेडस्टैंड’ भी कहा जाता है, योग का एक प्रभावशाली अभ्यास है जो सिर की ओर रक्त प्रवाह बढ़ाता है, जिससे मस्तिष्क और कानों को बेहतर पोषण मिलता है। हालांकि, यह आसन शुरुआती लोगों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इसलिए, जो लोग सिर के बल खड़े नहीं हो सकते, वे कुछ सरल अभ्यासों के माध्यम से सिर की ओर रक्त प्रवाह बढ़ा सकते हैं।
इस अभ्यास के लिए, सबसे पहले सिर और कोहनियों को ज़मीन पर टिकाएं, जिससे एक त्रिकोणीय आधार बने। फिर घुटनों को मोड़ें और धीरे-धीरे पंजों को शरीर के पास लाएं। इस स्थिति में कुछ समय तक रहें, जिससे सिर की ओर रक्त प्रवाह बढ़े। यह अभ्यास मस्तिष्क को ऊर्जा प्रदान करता है और मानसिक तनाव को कम करने में मदद करता है।
6. अनुलोम-विलोम और नाड़ी शोधन प्राणायाम
समय: सुबह और रात में, 10-15 मिनट
कैसे करें
अनुलोम विलोम प्राणायाम, जिसे नाड़ी शोधन प्राणायाम भी कहा जाता है, एक सरल और प्रभावशाली योग अभ्यास है जो मानसिक तनाव को कम करने, नसों को शुद्ध करने और कानों की समस्याओं में राहत प्रदान करने में सहायक होता है। इस प्राणायाम को करने के लिए, सबसे पहले आरामदायक स्थिति में बैठ जाएं और अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें। अब अपने दाहिने हाथ के अंगूठे से दाहिनी नासिका को बंद करें और बाईं नासिका से धीरे-धीरे गहरी सांस लें। फिर बाईं नासिका को अनामिका उंगली से बंद करें और दाहिनी नासिका से धीरे-धीरे सांस छोड़ें। यह एक चक्र पूरा होता है। इस प्रक्रिया को 5 से 10 मिनट तक दोहराएं।
इस प्राणायाम के नियमित अभ्यास से मानसिक शांति मिलती है, रक्त संचार में सुधार होता है, और श्वसन प्रणाली मजबूत होती है। यह अभ्यास विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है जो टिनाइटस जैसी कानों की समस्याओं से पीड़ित हैं, क्योंकि यह कानों की नसों को शांत करता है और कानों में होने वाली आवाज़ों को कम करने में मदद करता है।
खान-पान और घरेलू सुझाव
सिर्फ योग ही नहीं, आपकी डाइट और जीवनशैली भी कानों की समस्याओं में अहम भूमिका निभाती है।
क्या खाएं:
- हरी पत्तेदार सब्ज़ियां
- अदरक और तुलसी का सेवन
- गुनगुना पानी
- फलों का रस, विशेषकर अनार और गाजर का
किन चीजों से बचें:
- अत्यधिक नमक और चीनी
- तले-भुने और प्रोसेस्ड फूड
- नॉन वेज, अंडा और शराब
- ज़ोर से म्यूजिक सुनना या ईयरफोन का ज़्यादा उपयोग
7-दिन का योग और आहार चार्ट
दिन | योग अभ्यास | प्राणायाम | खानपान सुझाव |
---|---|---|---|
सोमवार | प्रणव उच्चारण, अधोमुख स्वानासन | अनुलोम-विलोम | तुलसी-अदरक का काढ़ा |
मंगलवार | पर्वतासन, पश्चिमोत्तानासन | नाड़ी शोधन | गुनगुना पानी, सादा भोजन |
बुधवार | अधोमुख स्वानासन | ब्रह्मरी | फल और हरी सब्ज़ियां |
गुरुवार | प्रणव उच्चारण | अनुलोम-विलोम | नींबू पानी, सूप |
शुक्रवार | पश्चिमोत्तानासन | नाड़ी शोधन | हल्का खिचड़ी या दलिया |
शनिवार | पर्वतासन, शीर्षासन (विकल्प सहित) | ब्रह्मरी | मौसमी फल और पानी |
रविवार | सभी का हल्का अभ्यास | ध्यान | उपवास या सादा भोजन |
टिनाइटस के बारे में पढ़कर काफी जानकारी मिली। यह समस्या वाकई में काफी परेशान करने वाली लगती है, खासकर जब कानों में लगातार आवाज़ सुनाई दे। क्या यह समस्या सिर्फ बड़ी उम्र के लोगों में होती है या युवाओं को भी प्रभावित कर सकती है? मुझे लगता है कि इसके कारणों को समझना और सही समय पर इलाज कराना बहुत जरूरी है। ध्वनि चिकित्सा और योग के बारे में पढ़कर अच्छा लगा, क्योंकि ये प्राकृतिक तरीके लगते हैं। क्या आपको लगता है कि योग और ध्यान से टिनाइटस को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है? मैंने सुना है कि तनाव भी इसका एक बड़ा कारण है, क्या आप इससे सहमत हैं?
हा आपके कहने से में आपको सहमत हु
Thanks