Eye Allergies । आँखों की एलर्जी क्या है  प्रकार, लक्षण, कारण और 6 उपचार के तरीके ।

Eye Allergies । आँखों की एलर्जी क्या है प्रकार, लक्षण, कारण और 6 उपचार के तरीके ।

Types, symptoms, causes and 6 treatment methods

Eye Allergies

नमस्कार दोस्तों,आई एलर्जी: लक्षण, इलाज और बचाव इस ब्लॉग में आपका स्वागत है।

क्या आपकी आंखों में बार-बार खुजली होती है? क्या आंखें बार-बार लाल हो जाती हैं या पानी बहता रहता है? क्या आपको दूर देखने में आंखें मसलनी या छोटी करनी पड़ती हैं? यदि हां, तो यह संकेत हो सकते हैं कि आपको आई एलर्जी (Eye Allergy) है।

आई एलर्जी एक आम लेकिन परेशान करने वाली समस्या है, खासकर बच्चों और किशोरों में। ब्लॉग पड़ो आई एलर्जी के बारे में पूरी जानकारी देगा – इसके लक्षण, कारण, उपचार और बचाव के तरीके।


आई एलर्जी क्या होती है?

आई एलर्जी, जिसे ऑक्युलर एलर्जी (Ocular Allergy) भी कहते हैं, आंखों की एक ऐसी स्थिति है जिसमें आंखें किसी बाहरी पदार्थ के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती हैं। यह कोई संक्रमण नहीं है, न ही किसी बैक्टीरिया या वायरस से होता है, बल्कि यह हमारी शरीर की इम्यून प्रतिक्रिया का परिणाम होता है।

जब कोई व्यक्ति किसी ऐसी चीज़ के संपर्क में आता है जिससे उसे एलर्जी है – जैसे धूल, परागकण, जानवरों की रूसी (pet dander), या धुएं – तब उसकी आंखों में एलर्जिक रिएक्शन हो सकता है।


किन लोगों को ज्यादा होती है आई एलर्जी?

आई एलर्जी सामान्यतः बच्चों और किशोरों में अधिक देखी जाती है, विशेष रूप से 3 से 20 वर्ष की उम्र के बीच। हालांकि यह किसी भी उम्र में हो सकती है, पर बच्चों में यह अधिक गंभीर हो सकती है क्योंकि वे बार-बार आंखें मसलते हैं जिससे समस्या और बढ़ जाती है।


आई एलर्जी के सामान्य लक्षण

आई एलर्जी के लक्षण आमतौर पर दूसरी आंखों की बीमारियों से थोड़े अलग होते हैं। इस स्थिति में सबसे पहला और सामान्य लक्षण होता है आंखों में लगातार खुजली होना। एलर्जी के कारण आंखों में इस तरह की जलन होती है कि व्यक्ति बार-बार आंखों को मसलने लगता है। इसके अलावा आंखों का लाल हो जाना भी एक सामान्य संकेत है कि आंखें किसी बाहरी चीज़ से प्रभावित हो रही हैं। अक्सर आंखों से पानी आना भी देखने को मिलता है, जो शरीर की स्वाभाविक प्रतिक्रिया होती है एलर्जेंस को बाहर निकालने की।

कुछ लोगों को आंखों में भारीपन या जलन की शिकायत भी होती है, जिससे उन्हें काफी असहजता महसूस होती है। कई बार एलर्जी के कारण देखने में भी दिक्कत आती है और आंखों के सामने धुंधला दिखाई देने लगता है। रोशनी में चुभन होना भी एक आम लक्षण है, जिससे व्यक्ति को तेज़ रोशनी में आंखें खोलने में परेशानी होती है। कुछ मरीजों को पलकों में सूजन या सूखेपन का अनुभव भी हो सकता है। और जब आंखें बार-बार गंदी या धुंधली लगने लगती हैं, तो लोग अक्सर बार-बार अपने चश्मे को साफ करते हैं, जबकि असल में समस्या एलर्जी की होती है, न कि चश्मे की।

इसलिए अगर इन सभी लक्षणों में से कई एक साथ दिखें, तो यह समझना जरूरी है कि यह आंखों की एलर्जी हो सकती है और समय रहते इसका इलाज करवाना चाहिए।

यदि बच्चा बार-बार आंखें मसल रहा है, चिड़चिड़ा हो रहा है या आंखें रगड़ने से उसकी स्किन लाल पड़ रही है, तो यह लक्षण गंभीरता से लेना चाहिए।



आंखों की एलर्जी का मुख्य कारण क्या है?

आई एलर्जी का मुख्य कारण हमारे शरीर की किसी बाहरी चीज़ के प्रति ज़रूरत से ज़्यादा प्रतिक्रिया करना होता है। जब हमारी आंखें किसी ऐसी चीज़ के संपर्क में आती हैं जो उन्हें सूट नहीं करती, तो शरीर उसे हानिकारक मानकर तुरंत प्रतिक्रिया देता है, जिससे एलर्जी के लक्षण पैदा होते हैं। आमतौर पर यह एलर्जी कुछ बहुत ही सामान्य चीज़ों से हो सकती है जो हमें रोज़मर्रा के जीवन में अक्सर मिलती हैं।

सबसे आम कारण होता है धूल और मिट्टी। हवा में उड़ती धूल के कण आंखों में जाकर खुजली, पानी आना और जलन जैसी समस्याएं पैदा कर सकते हैं। स्कूलों में बच्चों को अक्सर चॉक डस्ट से भी एलर्जी हो जाती है, क्योंकि जब टीचर बोर्ड पर लिखते हैं, तो चॉक का महीन पाउडर हवा में फैलता है और बच्चों की आंखों में जाकर चुभन और जलन करता है। गर्मी और बसंत के मौसम में परागकण यानी pollen हवा में बहुत ज़्यादा होते हैं, जिससे भी कई लोगों को आंखों में एलर्जी हो जाती है।

इसके अलावा, घरों में पाले जाने वाले जानवरों के बाल भी एलर्जी का एक बड़ा कारण हो सकते हैं। कुछ लोगों को फफूंदी (Mold) से भी एलर्जी हो जाती है, जो नमी वाले स्थानों पर आसानी से बन जाती है। साथ ही, परफ्यूम, धुआं, अगरबत्ती, या एयर फ्रेशनर जैसी तेज़ खुशबू वाली चीजें भी आंखों को चिढ़ा सकती हैं और एलर्जी का कारण बन सकती हैं।

कुछ मामलों में खाने की चीजों से भी आंखों में एलर्जी हो सकती है, जिसे हम फूड एलर्जी कहते हैं। जैसे कुछ लोगों को नट्स, दूध या किसी विशेष खाद्य पदार्थ से एलर्जी होती है और उसका असर सिर्फ पेट पर ही नहीं, आंखों पर भी पड़ सकता है।

इसलिए यह जरूरी है कि यदि आंखों में बार-बार एलर्जी हो रही है, तो यह पहचानना ज़रूरी है कि किस चीज़ से हो रही है, ताकि उससे बचाव किया जा सके।


आंखों की एलर्जी कितने दिनों तक रहती है?

आंखों की एलर्जी कितने दिनों तक रहती है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि एलर्जी किस कारण से हो रही है और उसका इलाज कितना सही तरीके से किया जा रहा है। कुछ लोगों को हल्की एलर्जी होती है, जो 2-3 दिनों में ठीक हो जाती है अगर वे एलर्जी की वजह से बचाव करें और दवाइयां समय पर लें। लेकिन अगर एलर्जी का कारण लगातार आसपास मौजूद रहे, जैसे धूल, मिट्टी या चॉक डस्ट, तो यह समस्या हफ्तों या महीनों तक बनी रह सकती है।

कुछ बच्चों और युवाओं को मौसम बदलने पर एलर्जी होती है, जैसे गर्मी या बसंत के मौसम में। ऐसे मामलों में एलर्जी उस पूरे मौसम तक रह सकती है जब तक ट्रिगर करने वाली चीज़ें (जैसे परागकण या धूल) वातावरण में बनी रहती हैं। वहीं, अगर किसी को किसी खाने की चीज़ या पालतू जानवरों से एलर्जी है और वह चीज़ लगातार संपर्क में बनी रहती है, तो एलर्जी बार-बार लौटकर आती रहती है।

अगर इलाज अधूरा छोड़ दिया जाए या आंखों को बार-बार मसलने की आदत बनी रहे, तो एलर्जी लंबे समय तक बनी रह सकती है और आंखों को नुकसान भी पहुंचा सकती है। इसलिए जरूरी है कि समय पर डॉक्टर से दिखाकर पूरा इलाज कराया जाए और जो चीज़ें एलर्जी बढ़ा रही हैं उनसे दूरी बनाई जाए। सही देखभाल और नियमित दवा से अधिकतर मामलों में आंखों की एलर्जी धीरे-धीरे ठीक हो जाती है।


आई एलर्जी की पहचान कैसे करें?

आई एलर्जी की सही पहचान करना बहुत जरूरी होता है, ताकि उसका सही इलाज किया जा सके। इसके लिए सबसे पहले यह देखना होता है कि लक्षण कब और कैसे सामने आते हैं। उदाहरण के तौर पर, आपको यह ऑब्जर्व करना चाहिए कि आंखों में खुजली सबसे ज्यादा कब होती है—क्या सुबह उठते ही होती है? या फिर स्कूल से आने के बाद या बाहर खेलने के बाद? यह जानकारी डॉक्टर को बताने से उन्हें एलर्जी के संभावित कारणों को समझने में मदद मिलती है।

इसके बाद यह समझना जरूरी है कि किन चीज़ों के संपर्क में आने से लक्षण बढ़ते हैं। मसलन, अगर बच्चा ऐसे तकिए या गद्दे पर सो रहा है जिनमें धूल जमा हो, तो यह एलर्जी का कारण हो सकता है। इसी तरह, अगर बच्चा स्कूल में चॉक डस्ट के कारण परेशान होता है या खेलते समय मिट्टी से आंखों में जलन महसूस होती है, तो ये भी अहम संकेत हो सकते हैं। इन्हें “ट्रिगर फैक्टर” कहा जाता है, और इनका पता लगाना इलाज का जरूरी हिस्सा होता है।

अगर बार-बार एलर्जी हो रही हो और सामान्य उपायों से राहत न मिल रही हो, तो डॉक्टर कुछ खास तरह के एलर्जी टेस्ट करने की सलाह दे सकते हैं। जैसे कि स्किन प्रिक टेस्ट, जिससे यह पता चल सकता है कि किस चीज़ से एलर्जी हो रही है। इन टेस्ट की मदद से एलर्जी के सही कारण को पहचाना जा सकता है और उसी हिसाब से इलाज शुरू किया जाता है।


आई एलर्जी का इलाज

आई एलर्जी का इलाज मुख्यतः दो हिस्सों में होता है:

मेडिकेशन (दवाइयां)

एंटीहिस्टामिन आई ड्रॉप्स का उपयोग आंखों की खुजली और जलन कम करने के लिए किया जाता है। मास्ट सेल स्टेबिलाइज़र ड्रॉप्स एलर्जी के बार-बार लौटने से रोकने में मदद करते हैं। गंभीर मामलों में स्टीरॉइड ड्रॉप्स दी जाती हैं, लेकिन इन्हें हमेशा डॉक्टर की सलाह से ही लेना चाहिए। लुब्रिकेटिंग ड्रॉप्स आंखों को नम और आरामदायक बनाए रखने के लिए उपयोगी होते हैं।

महत्वपूर्ण: डॉक्टर की सलाह के बिना कोई भी ड्रॉप्स या दवाई न लें, खासकर स्टीरॉइड्स, क्योंकि इससे आंखों पर साइड इफेक्ट हो सकते हैं।

बचाव के उपाय (Prevention)

इलाज से अधिक महत्वपूर्ण है एलर्जी से बचाव। इसके लिए निम्नलिखित उपाय अपनाएं:

घर पर

रुई के गद्दे और तकिए का इस्तेमाल न करें और वॉशेबल मैट्रेस कवर का प्रयोग करें। बेडशीट, तकिए के कवर और कंबल को नियमित रूप से धोते रहें ताकि सफाई बनी रहे। कमरे को हर दिन साफ रखें और धूल से बचाने की कोशिश करें। कारपेट, भारी परदे और बुक शेल्फ जैसी ऐसी चीजें हटाएं जो ज्यादा धूल जमा करती हैं। कमरे में रोज धूप और ताजी हवा आने दें ताकि हवा साफ बनी रहे। साथ ही, पालतू जानवरों को बच्चे के कमरे से दूर रखें ताकि किसी भी तरह की एलर्जी न हो।

बाहर से आने के बाद

सबसे पहले अपने हाथ, चेहरा और आंखें अच्छी तरह धोएं ताकि उनमें लगी धूल साफ हो जाए। इसके बाद कपड़े बदल लें ताकि शरीर पर लगी सारी धूल दूर हो जाए और आपको ताजगी महसूस हो।

बच्चों को सिखाएं

आंख की बाहरी परत को नुकसान पहुंच सकता है, जिससे चश्मे का नंबर बढ़ने की संभावना होती है। इसके अलावा, केराटोकोनस जैसी बीमारी भी हो सकती है, जिसमें कॉर्निया की बनावट खराब हो जाती है और देखने में परेशानी होती है। इसलिए आंखों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।



आंखों की एलर्जी को कैसे खत्म करें?

अधिकतर मामलों में, बच्चों की एलर्जी 15-16 साल की उम्र तक धीरे-धीरे ठीक हो जाती है। तब तक

दवाइयों का सेवन करते समय हमेशा नियमित फॉलो-अप करते रहें ताकि आपकी सेहत पर नजर रखी जा सके। साथ ही, दिये गए सावधानियों और प्रिकॉशंस को गंभीरता से अपनाएं ताकि किसी भी समस्या से बचा जा सके। यदि अचानक एलर्जी के लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और इलाज करवाएं, क्योंकि समय पर ध्यान देना बहुत जरूरी होता है।

मुख्य सारांश और अंतिम विचार

आई (eye) एलर्जी एक आम लेकिन अनदेखी की जाने वाली समस्या है। यह कोई संक्रमण नहीं, बल्कि शरीर की हाइपर-सेंसिटिव प्रतिक्रिया है। इलाज से ज्यादा ज़रूरी है ट्रिगरिंग फैक्टर को पहचानना और बचाव करना

सही समय पर पहचान और उपचार से न सिर्फ लक्षणों में राहत मिलती है, बल्कि आगे चलकर गंभीर समस्याओं से बचा जा सकता है। इसलिए, आंखें मसलना बंद करें, साफ-सफाई का ध्यान रखें और डॉक्टर से नियमित संपर्क बनाए रखें

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आँखों की एलर्जी के क्या है – प्रकार, लक्षण, कारण और उपचार के तरीके ?

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