12 Dementia Signs Most People Miss | Until It’s Too Late | डिमेंशिया के 12 लक्षण जिन्हें ज्यादातर लोग भूल जाते हैं | जब तक कि बहुत देर न हो जाए |

12 Dementia Signs Most People Miss | Until It’s Too Late | डिमेंशिया के 12 लक्षण जिन्हें ज्यादातर लोग भूल जाते हैं | जब तक कि बहुत देर न हो जाए |

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नमस्कार दोस्तों,12 Dementia Signs Most People Miss | Until It’s Too Late | डिमेंशिया के 12 लक्षण जिन्हें ज्यादातर लोग भूल जाते हैं | जब तक कि बहुत देर न हो जाए |इस ब्लॉग में आपका स्वागत है |

12 Dementia Signs Most People Miss | Until It’s Too Late | डिमेंशिया के 12 लक्षण जिन्हें ज्यादातर लोग भूल जाते हैं  | जब तक कि बहुत देर न हो जाए |

डिमेंशिया क्या है?

डिमेंशिया (Dementia) एक धीरे-धीरे बढ़ने वाला मस्तिष्क विकार है जो याददाश्त, सोचने की क्षमता, निर्णय लेने और रोजमर्रा के कार्य करने की क्षमता को प्रभावित करता है। यह कोई एक बीमारी नहीं है बल्कि एक सिंड्रोम है जो कई न्यूरोलॉजिकल बीमारियों के कारण होता है — जैसे अल्ज़ाइमर, वास्कुलर डिमेंशिया, फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया आदि।

डिमेंशिया बुढ़ापे की सामान्य प्रक्रिया नहीं है। हाँ, उम्र के साथ कुछ याददाश्त में कमी आना सामान्य है, लेकिन डिमेंशिया इससे कहीं ज़्यादा गंभीर और अव्यवस्थित होता है।


1. नई बातों को याद रखने में कठिनाई (Short-Term Memory Loss)

डिमेंशिया के शुरुआती संकेतों में से एक है हाल ही में हुई बातों को याद न रख पाना। मरीज़ बार-बार एक ही सवाल पूछते हैं, खाना खाया या नहीं, यह भूल जाते हैं, या उन्हें याद नहीं रहता कि उन्होंने क्या टीवी शो देखा।

सामान्य उम्र बढ़ने के दौरान व्यक्ति कभी-कभी कुछ बातें भूल सकता है, जैसे किसी पुराने दोस्त का नाम या कोई खास तारीख, लेकिन थोड़ी देर बाद उसे खुद ही याद आ जाता है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है और इसमें घबराने की बात नहीं होती।

उम्र के साथ याददाश्त थोड़ी कमजोर हो सकती है, लेकिन व्यक्ति को यह एहसास रहता है कि वह कुछ भूल गया है, और वह अक्सर खुद से ही उस बात को दोबारा याद कर लेता है। इसलिए अगर कोई नाम या जानकारी कुछ समय के लिए दिमाग से निकल भी जाए, तो भी यह चिंता की बात नहीं होती, जब तक वह बार-बार और रोज़मर्रा की नई बातों के साथ न हो।


2. समस्याओं को हल करने में परेशानी

डिमेंशिया से ग्रसित व्यक्ति के लिए किसी समस्या को हल करना मुश्किल हो सकता है, जैसे पुरानी कोई रेसिपी बनाना, या बजट प्लानिंग करना।

सामान्य उम्र बढ़ने के साथ कभी-कभी लोग छोटी-मोटी गलतियाँ कर सकते हैं, जैसे किसी बिल का समय पर भुगतान न कर पाना या खर्चों का सही हिसाब न रख पाना। लेकिन यह ज़रूरी नहीं कि ये गंभीर समस्या हों, क्योंकि आमतौर पर ऐसे लोग बाद में अपनी गलती को पहचान लेते हैं और उसे सुधार भी लेते हैं। यह भूल-चूक आम ज़िंदगी का हिस्सा होती है और उम्र के साथ कभी-कभी ऐसा हो जाना स्वाभाविक है। जब तक ये गलती बार-बार न हों या रोजमर्रा के कामों को बाधित न करें, तब तक इसे सामान्य उम्र बढ़ने का हिस्सा माना जा सकता है।


3. रोजमर्रा के कामों को करने में कठिनाई

पहले जो कार्य व्यक्ति आसानी से कर लेता था (जैसे गाड़ी चलाना, खाना बनाना, लिस्ट बनाना), वह धीरे-धीरे भूलने लगता है या उसे करने में समय ज़्यादा लगने लगता है

सामान्य बुढ़ापे में कभी-कभी तकनीकी चीज़ों जैसे माइक्रोवेव चलाना या टीवी सेट करना थोड़ा मुश्किल लग सकता है और इसके लिए किसी की मदद की ज़रूरत पड़ सकती है। लेकिन इसके बावजूद व्यक्ति अपनी पहचान, अपने आसपास के लोगों और स्थानों को अच्छी तरह से पहचानता है। वह यह समझता है कि उसे किस चीज़ में दिक्कत हो रही है और वह मदद मांग भी सकता है। यह स्थिति सामान्य होती है और इसे गंभीर समस्या नहीं माना जाता, जब तक कि व्यक्ति अपनी पहचान या रोज़मर्रा की बुनियादी बातों को भूलने न लगे।


4. समय और स्थान की पहचान में भ्रम

डिमेंशिया मरीज़ दिन, तारीख या मौसम भूल जाते हैं। उन्हें यह याद नहीं रहता कि वे कहाँ हैं और कैसे आए। कभी-कभी वे अपने ही घर में रास्ता भूल सकते हैं।

सामान्य उम्र में कभी-कभी व्यक्ति थोड़ी देर के लिए समय या तारीख भूल सकता है, जैसे यह समझने में दिक्कत हो सकती है कि आज कौन सा दिन है या कितने बजे हैं। लेकिन यह भूल अधिक देर तक नहीं रहती, क्योंकि कुछ ही मिनटों में व्यक्ति दोबारा से चीज़ों को समझ लेता है और खुद को सही ढंग से स्थिति में ढाल लेता है। यह सामान्य भूल-चूक होती है जो कभी-कभी थकान या ध्यान न लग पाने की वजह से हो सकती है, लेकिन यह कोई गंभीर संकेत नहीं मानी जाती।


5. दृष्टि और दूरी की समझ में दिक्कत

डिमेंशिया से ग्रसित व्यक्ति को संख्याएँ, आकार, रंग और दूरी समझने में परेशानी होती है। वाहन चलाने में दुर्घटना की संभावना बढ़ जाती है। वे ट्रैफिक लाइट नहीं पहचान पाते।

सामान्य दृष्टि से जुड़ी समस्याएं जैसे मोतियाबिंद उम्र बढ़ने के साथ आम तौर पर देखने को मिलती हैं और ये आंखों की सामान्य बीमारी मानी जाती हैं, जिनका इलाज संभव होता है। लेकिन डिमेंशिया से ग्रसित व्यक्ति में देखने की समस्या कुछ अलग तरह की होती है, जिसे ‘टनेल विजन’ कहा जाता है। इसमें व्यक्ति केवल सामने की चीज़ें देख पाता है और आसपास की चीज़ें उसकी नजर से बाहर हो जाती हैं। इस वजह से वह पास रखी वस्तुएं भी नहीं देख पाता, जो एक सामान्य व्यक्ति आसानी से देख सकता है। यह फर्क समझना जरूरी है, क्योंकि डिमेंशिया की दृष्टि समस्या केवल आंखों तक सीमित नहीं होती, बल्कि मस्तिष्क के देखने की प्रक्रिया को भी प्रभावित करती है।

आदिक जानकारी के लिए इस विडियो को जरुर देखे।


6. बोलने और शब्दों को पहचानने में समस्या

डिमेंशिया मरीज़ बात करते समय अचानक रुक जाते हैं, शब्दों को भूल जाते हैं, और गलत नाम इस्तेमाल करते हैं। जैसे गाजर को “ऑरेंज कोन” कह देना।

डिमेंशिया के शुरुआती चरण में मरीज़ को यह एहसास होता है कि वह कुछ शब्द भूल रहा है या ठीक से बात नहीं कर पा रहा है। वह अपनी इस परेशानी को समझता है और कभी-कभी खुद ही इसके बारे में बता भी देता है। लेकिन जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, मरीज़ को बातचीत में ज़्यादा कठिनाई होने लगती है। शब्द ढूंढना मुश्किल हो जाता है और वाक्य अधूरे रह जाते हैं। ऐसे में वह धीरे-धीरे बातचीत से कतराने लगता है और लोगों से दूर रहने लगता है, क्योंकि उसे डर होता है कि वह कुछ गलत न कह दे या शर्मिंदगी न उठानी पड़े।


7. सामान्य चीजों को गलत जगह रखना

चीजों को अजीब जगह रखना — जैसे चाबी फ्रिज में, आइसक्रीम ओवन में रखना डिमेंशिया का संकेत हो सकता है। और बाद में वे दूसरों पर चोरी का आरोप भी लगा सकते हैं।

सामान्य रूप से हम सभी कभी-कभी चीजें कहीं रखकर भूल जाते हैं, जैसे चाबी या मोबाइल फोन। लेकिन थोड़ी देर सोचने या ध्यान लगाने पर हम अक्सर याद कर लेते हैं कि वह चीज़ कहाँ रखी थी और उसे ढूंढ़ भी लेते हैं। यह रोजमर्रा की जिंदगी का एक सामान्य हिस्सा है और ऐसा तनाव, थकान या ध्यान भटकने की वजह से हो सकता है। जब तक यह भूल बार-बार न हो या कोई चीज़ बिल्कुल याद से बाहर न चली जाए, तब तक इसे गंभीर नहीं माना जाता।


8. निर्णय लेने की क्षमता में कमी

डिमेंशिया मरीज़ पैसों का गलत उपयोग करते हैं, अपने पहनावे का ध्यान नहीं रखते। निर्णय क्षमता कमजोर होती है — वे धोखेबाजों का शिकार भी बन सकते हैं।

उम्र बढ़ने के साथ कभी-कभी गलतियाँ होना आम बात है, जैसे किसी काम को भूल जाना या कोई फैसला देर से लेना। ऐसी छोटी-मोटी भूलें सामान्य होती हैं और ज़्यादातर लोग समय के साथ इन्हें ठीक भी कर लेते हैं। लेकिन अगर ये गलतियाँ बार-बार होने लगें या व्यक्ति का व्यवहार पहले से अलग दिखने लगे, तो यह केवल उम्र का असर नहीं हो सकता। जब किसी की आदतों या सोचने के तरीके में अचानक बदलाव आने लगे और वो लगातार गलत फैसले लेने लगे, तब सतर्क हो जाना चाहिए, क्योंकि यह किसी गंभीर मानसिक स्थिति का संकेत हो सकता है।


9. सामाजिक जीवन से दूरी बनाना

जैसे-जैसे डिमेंशिया बढ़ता है, व्यक्ति मुलाकातों, पारिवारिक आयोजनों और चर्चाओं से कतराने लगता है। उन्हें शब्द याद न रहने की शर्मिंदगी होती है।

सामान्य उम्र में कभी-कभी ऐसा हो सकता है कि व्यक्ति थकान, काम की अधिकता या मूड सही न होने की वजह से लोगों से मिलने का मन न बनाए। ऐसे समय में अकेले रहना या कुछ समय के लिए सामाजिक गतिविधियों से दूरी बनाना एक सामान्य बात होती है। यह कोई गंभीर समस्या नहीं मानी जाती क्योंकि थोड़े समय बाद व्यक्ति फिर से पहले की तरह लोगों से मिलने-जुलने लगता है। जब तक यह दूरी बनाना केवल कुछ समय के लिए हो और व्यक्ति का व्यवहार सामान्य बना रहे, तब तक इसे चिंता की बात नहीं समझा जाता।


10. मूड और व्यवहार में परिवर्तन

डिमेंशिया मरीज़ अचानक गुस्सैल, डरे हुए, उदास, या बेचैन हो सकते हैं। वे अपनी गिरती हालत को महसूस कर सकते हैं, जिससे चिंता और अवसाद बढ़ता है।

उम्र बढ़ने के साथ कभी-कभी दिनचर्या में बदलाव होना सामान्य होता है, जिससे थोड़ा असहज महसूस हो सकता है। लेकिन डिमेंशिया में यह समस्या ज्यादा गंभीर होती है, जिसमें भावनाओं में अस्थिरता और अधिक देखने को मिलती है।

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11. अशिष्ट या अनुचित व्यवहार (Disinhibition)

डिमेंशिया मरीज़ बिना सोच-समझे बात कर सकते हैं, अशोभनीय टिप्पणियाँ कर सकते हैं, या सार्वजनिक जगह पर अनुचित हरकतें (जैसे कपड़े उतारना, अभद्रता करना) कर सकते हैं।

उम्र बढ़ने के साथ कभी-कभी लोगों में थोड़ी बेबाकी या खुलेपन की आदत आ सकती है, जो सामान्य है। लेकिन डिमेंशिया में यह स्थिति और भी बढ़ जाती है, जिससे व्यक्ति की सामाजिक मर्यादा पूरी तरह खत्म हो सकती है और वह अपने व्यवहार पर नियंत्रण खो सकता है।


12. भ्रम, मतिभ्रम और झूठे विचार

मरीज़ आवाज़ें सुनते हैं जो नहीं होतीं, या सोचते हैं कि कोई उन्हें नुकसान पहुँचाना चाहता है। कुछ खुद को भगवान या सुपरहीरो मानने लगते हैं। यह पैराेनिया या डिल्यूजन हो सकता है।

सामान्य उम्र में कभी-कभी थोड़ा सा शक या सतर्कता हो सकती है, लेकिन फिर भी व्यक्ति को वास्तविकता की सही पहचान बनी रहती है और वह अपने आस-पास की चीज़ों को समझ पाता है।


आख़िर में क्या समझना ज़रूरी है?

डिमेंशिया (Dementia) के ये 12 लक्षण अक्सर धीरे-धीरे बढ़ते हैं और शुरुआत में इन्हें गलती से सामान्य उम्र की प्रक्रिया समझ लिया जाता है। लेकिन समय रहते पहचान कर इलाज और देखभाल शुरू की जाए, तो मरीज़ की गुणवत्ता भरी ज़िंदगी बनी रह सकती है।

अगर आप अपने किसी प्रियजन में ये लक्षण देख रहे हैं, तो उन्हें तुरंत किसी न्यूरोलॉजिस्ट या मनोचिकित्सक से मिलवाएं।

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